नि:स्वार्थ भाव सेवा ही विशेष फलदायी : भरत
प्राचीन श्री दुर्गा मंदिर में श्री हनुमत कथा का चौथा दिन जागरण संवाददाता, मिलक : नगर के साप्
प्राचीन श्री दुर्गा मंदिर में श्री हनुमत कथा का चौथा दिन
जागरण संवाददाता, मिलक : नगर के साप्ताहिक बाजार स्थित प्राचीन श्रीदुर्गा मंदिर पर चल रही श्रीहनुमत कथा के चौथे दिन ब्रजधाम से पधारे कथावाचक श्री भरत शरण जी महाराज ने कहा कि प्राणी मात्र के प्रति दया, उदारता और पारमार्थिक प्रवृत्तियां ही मानव जीवन की श्रेष्ठता को उजागर कर धन्यता की अनुभूति प्रदान करती हैं। सेवा साधन नहीं, अपितु समस्त आध्यात्मिक साधनों की फलश्रुति है। अत: परम लक्ष्य की प्राप्ति के निमित्त सेवा व्रत कल्याणकारी है। जीवन में संसार के प्रत्येक प्राणी के प्रति दया का भाव रखना चाहिए, क्योंकि दया क्षमा का मूल है। जिस मनुष्य के जीवन में दया का भाव नहीं है वह जीवन में कभी भी धर्म को धारण नहीं कर सकता। दया के भाव होने पर हमारे भाव सहज ही कोमल हो जाते हैं। क्षमा भाव को धारण करके जीवन को सफल बनाना चाहिए। प्राणी मात्र के प्रति दया का भाव सिखाता है धर्म, यही अ¨हसा है। सच्चा आनंद, सच्ची शांति केवल सेवा-व्रत में है। यही अधिकार का स्त्रोत है। यही शक्ति का उद्गम भी है। नि:स्वार्थ भाव से की गई सेवा ही विशेष फलदायी होती है। नि:स्वार्थ सेवा ही धर्म है, जहां अपनी मुक्ति की अभिलाषा करना भी अनुचित है। मुक्ति केवल उसके लिए है, जो दूसरों के लिए सर्वस्व त्याग देता है। जब तक नि:स्वार्थ और निष्काम सेवाभाव के साथ हम भक्ति नहीं करेंगे, हमारे कर्मों का फल भी अनुकूल नहीं मिलेगा। इस प्रकार जब हम अध्यात्म के अभाव को दूर कर इंद्रियों पर नियंत्रण रखना सीख लेंगे, तभी हमारा सेवा-धर्म फलीभूत हो सकेगा। इस अवसर पर कथा में डा. मुकेश सक्सेना, नत्थूलाल चंद्रा, आदेश शंखधार, हरिओम गुप्ता, वीरेश शर्मा, अवधेश सक्सेना, ऋषभ सारंग, महावीर मौर्य, उदलराम मौर्य, सूरजपाल गुप्ता, आशीष सक्सेना, राजकमल चौबे, राहुल चौबे, मनी गुप्ता, शगुन गुप्ता, अनुज गुप्ता आदि मौजूद रहे।