चांदी के पलंग पर सोते थे रामपुर के नवाब, जीने का अंदाज था निराला Rampur News
उगलदान पानदान और खासदान के अलावा चांदी जडि़त छह पलंग थे । चांदी के 20 पानदान छह खासदान और 20 उगलदान 20 सिगार बॉक्स और चार हुक्के भी बंटवारा सूची में शामिल हैं।
रामपुर (मुस्लेमीन)। आजादी से पहले रामपुर में नवाबों का जलवा कायम था। उनके जीने का अंदाज निराला था। चांदी के बर्तनों के साथ ही उगलदान, पानदान और खासदान सबके सब चांदी के थे। उनके सोने के लिए बने छह पलंग भी चांदी जडि़त थे।
खानदान के पास है अरबों की संपत्ति
नवाब खानदान में अरबों रुपये की संपत्ति है, जिसके बंटवारे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। जिला जज को बंटवारा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। संपत्ति के सर्वे और मूल्यांकन के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किए हैं। एडवोकेट कमिश्नर सर्वे और मूल्यांकन का काम कर रहे हैं। इस मुकदमे में वकालत कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता हर्ष गुप्ता बताते हैं कि नवाब खानदान की बड़ी तादात में संपत्तियां हैं। 1073 एकड़ जमीन है। कोठी खासबाग, कोठी बेनजीर, लक्खीबाग, कुंडा और नवाब रेलवे स्टेशन अचल संपत्ति में शामिल हैं। जबकि चल संपत्ति भी बहुतायत में हैं, जिनमें हथियार और दूसरे बेशकीमती सामान शामिल हैं। मुकदमे के साथ संपत्ति की जो लिस्ट है, उसमें नवाब के चांदी के छह पलंग के साथ ही चांदी के 20 पानदान, छह खासदान और 20 उगलदान, 20 सिगार बॉक्स और चार हुक्के भी शामिल हैं।
मेहमानों के लिए होता था खासदान
पूर्व सांसद बेगम नूरबानो बताती हैं कि वह 1956 में दुल्हन बनकर खासबाग आईं। तब वे चांदी के पलंग पर सोती थीं। पानदान में पान रखे जाते थे। खासदान एक ट्रे नुमा होता था, जो खास मेहमानों के लिए होता था। सिंहासन में चांदी की छतर थी। ये सारी चीजें बंटवारे की सूची में शामिल हैं। सत्यापन नहीं होने के चलते इनकी स्थिति का पता नहीं चला है।
शाही दस्तरखान पर सजती थी महफिल, 20 लोग बैठकर खाते थे खाना
नवाबों के शाही दस्तरखान पर खास लोगों की महफिल सजती थी। जिला सहकारी बैंक के पूर्व चेयरमैन शाहिज एजाज खां भी लंबे समय तक नवाब खानदान से जुड़े रहे हैं और नवाबों की महफिलों में शामिल होते रहे हैं। उन्हें कई बार उनके दस्तरखान पर खाने का मौका भी मिला। रामपुर के नवाब मेहमाननबाजी के शौकीन थे। उनका दस्तरखान भी खास अंदाज में सजता था। करीब 20 लोग साथ बैठकर खाना खाते थे। देश के कई हिस्सों के खानसामा रसोई तैयार करते थे।