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लो कर लो बात: अरबों से बनी कोठी खासबाग, अब कीमत मात्र 27 करोड़

अरबों रुपये की लागत से बनी नवाब खानदान की कोठी खासबाग की कीमत मात्र 27 करोड़ रुपये आंकी गई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 11:34 PM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 05:12 AM (IST)
लो कर लो बात: अरबों से बनी कोठी खासबाग, अब कीमत मात्र 27 करोड़
लो कर लो बात: अरबों से बनी कोठी खासबाग, अब कीमत मात्र 27 करोड़

मुस्लेमीन, रामपुर: अरबों रुपये की लागत से बनी नवाब खानदान की कोठी खासबाग की कीमत मात्र 27 करोड़ रुपये आंकी गई है। देश की यह पहली फुल्ली एयरकंडीशनर कोठी है। करीब सौ साल पहले यूरोपीय इस्लामी शैली में बनी यह आलीशान इमारत बेहद खूबसूरत है। लेकिन, इसका मूल्यांकन अपनी उम्र पूरी कर चुके भवन के रूप में किया गया है। गुरुवार को इसकी मूल्यांकन रिपोर्ट जिला जज की अदालत में सौंप दी गई।

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नवाब खानदान की रामपुर में हजारों करोड़ की संपत्ति है। आलीशान इमारतें और बड़े-बड़े बाग हैं। अब इनके बंटवारे की प्रक्रिया चल रही है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने शरीयत के हिसाब से बंटवारा करने के आदेश दिए थे। बंटवारे की जिम्मेदारी जिला जज को सौंपी गई है। उन्होंने जनवरी माह में इमारतों के मूल्यांकन के लिए लोक निर्माण विभाग को आदेश दिए थे।

अधिशासी अभियंता संजीव कुमार वर्मा ने मूल्यांकन के लिए कमेटी बनाई, जिसमें सहायक अभियंता मोहम्मद हारून, यूसी सिघल और अवर अभियंताओं को शामिल किया। गुरुवार को श्री वर्मा ने जिला जज की अदालत में रिपोर्ट भी सौंप दी। रिपोर्ट में कहा है कि कोठी खासबाग के भवन करीब 100 वर्ष पहले हैं। मुख्य महल भवन के अतिरिक्त 33 स्थायी भवन, एक मस्जिद, एक मजार तथा एक स्टेचू निर्मित है। इनके अतिरिक्त कई भवनों में टीन शेड भी हैं। इनका रखरखाव पिछले कई दशक से नहीं किया गया है और वर्तमान में प्रयोग किए जाने हेतु सुरक्षित नहीं हैं। इमारत अपनी अधिवर्षता आयु भी पूरी कर चुकी है। ऐसी स्थिति में भवनों की वर्तमान दशा के अनुरूप अनुमानित मूल्यांकन किया गया है। इसमें कोठी के सामने के हिस्से की कीमत 17 करोड़ 95 लाख 30 हजार और दूसरे हिस्से की कीमत तीन करोड़ 45 लाख 50 हजार आंकी गई है। अन्य भवनों की कीमत पांच करोड़ 95 लाख 91 हजार बताई गई है। इस तरह कुल कीमत 27 करोड़ 32 लाख 61 हजार है। मूल्यांकन केवल भवन के स्ट्रक्चर रूप से किया गया है। मूल्यांकन में दीवारों और छतों के सजावटी कार्यों को सम्मिलित नहीं किया गया है। इसमें मस्जिद, मजार और स्टेचू को भी शामिल नहीं किया है।

वेशकीमती है खासबाग पैलेस: नवेद

पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां आर्किटेक्ट भी हैं। कहते हैं कि यूरोपीय इस्लामी शैली में बना खासबाग पैलेस पुरातत्व के नजरिये से वेशकीमती है। यह रामपुर की शान है। कोठी खासबाग में करीब दो सौ कमरे और सिनेमा हाल समेत कई बड़े हाल हैं। इसमें बड़े-बड़े हाल बर्माटीक और बेल्जियम ग्लास के झूमरों से सजाए गए। इसमें नवाब का आफिस, सिनेमा हाल, सेंट्रल हाल, संगीत हाल, स्वीमिग पूल भी बनाया गया। बताते हैं कि कोसी नदी किनारे बनी इस कोठी के चारों ओर बाग हैं, जिसमें एक लाख से ज्यादा पेड़ लगाए गए। कोठी यूरोपीय इस्लामी शैली में बनी है। इसमें बड़े बडे़ हाल बर्माटीक और बेल्जियम ग्लास के झूमरों से सजाए गए हैं। इसमें नवाब का आफिस, सिनेमा हाल, सेंट्रल हाल व संगीत हाल भी बनाया गया। सेंट्रल हाल में बेशकीमती पेंटिग लगी हैं। इनकी कीमत ही करीब 23 करोड़ आंकी गई है। कोठी के मुख्य द्वार पर गुंबद बने हैं, जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे हैं। इसकी सीढि़या इटेलियन संगमरमर से बनी हैं। इसी कोठी में नवाब खानदान की आरमरी है, जिसमें एक हजार से ज्यादा हथियार हैं। खासबाग का एरिया 450 एकड़ है, जो सिविल लाइंस क्षेत्र में है। इस कारण इसकी जमीन ही अरबों रुपये की है। कोठी का निर्माण कराने इंजीनियर भी लंदन से आए थे और राज मिस्त्रियों को मजदूरी भी चांदी के सिक्कों में दी जाती थी। 121 करोड़ में बन सकेगा नया भवन

लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता संजीव कुमार वर्मा का कहना है कि हमने यह भी आंकलन किया है कि अगर अब ऐसी इमारत बनाई जाए तो कितनी धनराशि खर्च होगी। सरकारी मानक के हिसाब से 121 करोड़ 15 लाख खर्च होंगे। इसमें छत, दीवारे, खिड़की दरवाजे और फर्श की लागत शामिल है। नवाब खानदान की कोठी में जो बर्माटीक, झूमर, पेंटिग्स, संगमरमर लगा है, उसकी कीमत अलग रही। अब दीवारें भी इतनी मोटी नहीं बनती हैं। हमने जो कीमत आंकी है, वह इसकी ईंटों और लोहे के गर्डर आदि सामान की है, क्योंकि इमारत बहुत पुरानी है और अपनी उम्र पूरी कर चुकी है। मूल्यांकन विभाग के प्रचलित प्रक्रिया के आधार पर और भवनों की वर्तमान दशा को देखते हुए वेटेज ऑफ कंपोनेंट समाहित करते किया गया है।

खास तकनीक से बनी है कोठी

आर्किटेक्ट नसीम रजा कहते हैं कोठी खासबाग को ऐसी तकनीक से बनाया गया है कि यह गर्मी में भी ठंडी रहे। इसकी छत को डाट तकनीक से बनाया गया, जिसकी मोटाई करीब दो फीट है। कोठी को ठंडा रखने के लिए इसकी दीवारों के निर्माण में भी विशेष ध्यान दिया गया। दीवारों की अंदरूनी सतह चिकनी है। हवा प्रतिरोध से बचने के लिए कोनों को गोलाकार बनाया गया है। दीवारों की मोटाई और ऊंचाई भी ज्यादा है। कोठी के चारों ओर बाग हैं। वातावरण हराभरा होने के कारण आसपास का तापमान करीब पांच डिग्री कम रहता है। कोठी के पास पहुंचने से पहले ही ठंडक महसूस होने लगती है।


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