बेटियों को बेहतर तालीम के लिए विदेश भेज रहे मुसलमान
रामपुर मुस्लिम समाज में पहले महिलाएं पर्दे से बाहर नहीं निकल पाती थीं लेकिन दौर बदलने के साथ ही मुसलमानों का नजरिया भी बदल रहा है। अब वे अपनी बेटियों को अच्छी तालीम के लिए विदेश तक भेज रहे हैं।
रामपुर: मुस्लिम समाज में पहले महिलाएं पर्दे से बाहर नहीं निकल पाती थीं, लेकिन दौर बदलने के साथ ही मुसलमानों का नजरिया भी बदल रहा है। अब वे अपनी बेटियों को अच्छी तालीम के लिए विदेश तक भेज रहे हैं। यूक्रेन पर हुए हमले से यह बात सामने आई है। रामपुर की ही आधा दर्जन बेटियां यूक्रेन में पढ़ रही हैं।
रामपुर में मुस्लिम आबादी 50 फीसद से भी ज्यादा है। यहां महिलाएं हर क्षेत्र में आगे रही हैं। शिक्षा हो या राजनीति सभी क्षेत्रों में महिलाओं ने सफलता हासिल की है। बेगम नूरबानो दो बार रामपुर की सांसद बनीं तो डा. तजीन फात्मा शहर विधायक हैं। फात्मा अजहर शहर की चेयरमैन हैं, जबकि रेशमा बी 10 साल पालिकाध्यक्ष रही हैं। महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में भी कामयाबी की सीढि़यां चढ़ रही हैं। देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी शिक्षा हासिल कर रही हैं। यूक्रेन पर हमला होने के बाद प्रशासन ने कंट्रोल रूम बनाया है। इस कंट्रोल रूम में वहां फंसे लोगों के स्वजन संपर्क कर रहे हैं। रामपुर के 21 लोगों ने संपर्क किया है। इनमें छात्राएं भी शामिल हैं।
रामपुर शहर के दोमहला रोड की शजा उसमान व हुजैफा आरिफ, शाहबाद गेट की शिफा बी, लाल मस्जिद मुहल्ले की मुनीबा खान, नूर महल कालोनी की सेहर खान शामिल हैं। इनमें कोई दो तो कोई तीन साल से यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई पढ़ रही हैं। शजा उस्मान के स्वजन तो बेटी को स्वदेश लाने के लिए शासन और प्रशासन से भी गुहार लगा चुके हैं। बेटी को डाक्टर बनाने का चाह
शजा उस्मान यूक्रेन के खरकीव शहर की नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस तृतीय वर्ष की छात्रा हैं। उसने वीडियो बनाकर वहां के हालात के बारे में बताया। वह बता रही हैं कि एक अपार्टमेंट में बने बंकर में रात गुजारनी पड़ी है। भारत सरकार यहां से निकालने में मदद करें। उनकी मां समीना का कहना है कि हमने बेटी को डाक्टर बनाने के लिए यूक्रेन भेजा है। लेकिन, अब वहां हालात खराब हैं। सरकार को उसे वापस लाने के लिए प्रयास करना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन एडीएम वैभव शर्मा को सौंपकर उसे वापस बुलाने की मांग की है।