रामपुर के सीआरपीएफ कैंप में घुस रहा फर्जी सब इंस्पेक्टर गिरफ्तार
रामपुर सीआरपीएफ कैंप में करीब 11 वर्ष पहले आतंकी हमले के बाद इसको बेहद संवेदनशील केंद्र माना जाता है। हमेशा इसके हर गेट पर सख्त पहरा रहता है।
रामपुर (जेएनएन)। अति संवेदनशील माने जाने वाले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कैंप में घुसने का प्रयास कर रहे एक संदिग्ध को आज गिरफ्तार किया गया है। यह अपने को सीआरपीएफ का सब इंस्पेक्टर बताकर सीआरपीएफ कैंप में घुसने के प्रयास में था।
कैंप के मुख्य गेट पर जब इससे पूछताछ की जाने लगी तो इसके जवाब से ड्यूटी पर तैनात टीम संतुष्ट नहीं हुई। इसके बाद इसको पकड़कर पुलिस को सौंपा गया है। पुलिस अब इस संदिग्ध से पूछताछ में लगी है।पुलिस ने बताया कि संदिग्ध कह रहा है कि उसने अपने मां-बाप से झूठ बोला था कि वह सीआरपीएफ में सब इंस्पेक्टर है। जब उन लोगों ने उसको तैनाती की जगह दिखाने की जिद की तो वह उनको रामपुर लेकर आ गया। वह उनको सीआरपीएफ का कैंप दिखाने के प्रयास में अंदर जा रहा था।
वर्दी पहन सीआरपीएफ में घुसा युवक
सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर की सुरक्षा में फिर चूक सामने आई। दारोगा की वर्दी पहनकर एक युवक अंदर घुस गया। वह गेस्ट हाउस खुलवाना चाहता था। शक होने पर उसे पकड़ लिया गया और पुलिस को सौंप दिया। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है।सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर के गेट से अनजान युवक अंदर घुस गया। युवक ने सीआरपीएफ के एएसआइ (सहायक उप निरीक्षक) की वर्दी पहन रखी थी। इसके चलते किसी ने उससे पूछताछ नहीं की। युवक के साथ कुछ अन्य लोग भी थे, जिन्हें उसने परिजन बताया और उनके लिए गेस्ट हाउस खोलने के लिए बोलने लगा। पहले तो सीआरपीएफ के सुरक्षा कर्मियों ने उसे स्टाफ समझकर बात की, लेकिन युवक के हाव-भाव से उन्हें शक हो गया। उन्होंने अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। अधिकारियों ने युवक से पूछताछ की तो उसकी असलियत खुल गई। युवक एक सिविलियन था।
युवक ने इसके लिए माफी मांगी, लेकिन उसके सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर में घुसने को अधिकारियों ने गंभीरता से लिया और पुलिस बुलवा ली। पुलिस वहां पहुंच गई। सीआरपीएफ अधिकारियों ने उसे पुलिस के हवाले कर दिया। युवक को सिविल लाइंस कोतवाली लाया गया, जहां उससे पूछताछ हुई। सिविल लाइंस कोतवाल सुधीर कुमार ने बताया कि युवक इटावा की मरथना तहसील के थाना बकेबर अंतर्गत जेहानी गांव का मोहित तिवारी पुत्र नरेश तिवारी है। वह सीआरपीएफ की वर्दी और बैच पहनकर अंदर दाखिल हुआ था। पूछताछ में पता चला है कि उसने पहले सीआरपीएफ भर्ती परीक्षा दी थी, जिसमें उसका नाम नहीं आया। हालांकि उसने परिजनों को झूठ बोल दिया कि उसकी नौकरी लग गई है। वह घर से बाहर रहता था और परिजनों को यही कहता था कि उसकी सीआरपीएफ में नौकरी लग गई है। परिजन उससे मिलने आ गए तो उसने यह हरकत की। उसके खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। गौरतलब है कि सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर 31 दिसंबर 2007 की रात आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में सीआरपीएफ के सात जवान शहीद हुए थे। इसके बाद से सीआरपीएफ को अति संवेदनशील मानते हुए सुरक्षा बढ़ा दी गई। 1बावजूद इसके दो साल में अनजान व्यक्ति द्वारा घुसपैठ की यह दूसरी वारदात हुई है। 28 जुलाई 2017 को भी सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर में अनजान व्यक्ति घुस गया था। उसे पकड़कर सिविल लाइंस पुलिस को सौंप दिया गया था। हालांकि बाद में उसे मानसिक रूप से विक्षिप्त बताकर बरेली के मानसिक चिकित्सालय में भर्ती करा दिया गया था।
रामपुर सीआरपीएफ कैंप में करीब 11 वर्ष पहले आतंकी हमले के बाद इसको बेहद संवेदनशील केंद्र माना जाता है। हमेशा इसके हर गेट पर सख्त पहरा रहता है। गेट पर मुस्तैद टीम ने आज संदिग्ध को इसी सतर्कता के कारण अपनी गिरफ्त में लिया।
रामपुर सीआरपीएफ कैंप हमला
एक जनवरी 2008 को रामपुर के सिविल लाइन इलाके में सीआरपीएफ कैंप पर आतंकियों ने रात करीब ढाई बजे हमला किया था। इस हमले में सीआरपीएफ जवान मारे गए थे और कई सुरक्षाकर्मी जख्मी हो गए थे। इस मामले में सात आरोपितों पर केस चल रहा है। इसमें पाकिस्तानी निवासी मोहम्मद फारुक उर्फ अबू जुल्फकार नैन उर्फ अबुजाद उर्फ अमर सिंह, इमरान शहजाद उर्फ अबु ओसामा उर्फ अजय उर्फ अशद उर्फ रमीज राजा उर्फ उबैस, मोहम्मद शरीफ उर्फ सुहैल उर्फ साजिद उर्फ अनवर अली, जंग बहादुर खान उर्फ बाबा, गुलाब खान, मोहम्मद कौसर और बिहार निवासी सबाउद्दीन उर्फ शबा उर्फ सहाबुद्दीन, उर्फ संजीव उर्फ फरहान उर्फ अबु अल कासिम उर्फ बाबर उर्फ मुवसिर उर्फ शमीर उर्फ इफ्तेखार शामिल हैं।
एटीएस की तरफ से इस मामले में कोर्ट में 38 गवाह पेश किए गए हैं। इस मामले की पत्रावली सीआरपीसी की धारा 313 के तहत लंबित चल रही हैं। इससे पहले एटीएस ने करीब 11 वर्ष पहले रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हुए हमले के मामले में पैरवी तेज कर दी है। रामपुर के साथ ही फैजाबाद कचहरी कचहरी ब्लास्ट मामले में दो आरोपितों के दोष सिद्ध होने के बाद एटीएस ने अहम साक्ष्य जुटा लिए हैं। इस प्रकरण में कोर्ट में गवाहियां पूरी हो चुकी हैं। एटीएस ने इन दोनों मामलों के त्वरित निस्तारण के लिए कोर्ट से अनुरोध किया है। रामपुर कांड भी करीब 10 वर्ष से चल रहा है।