लॉक डाउन में हुआ कोसी का उद्धार, किसानों के चेहरों पर लौटी खुशी
लॉक डाउन में हुआ कोसी का उद्धार किसानों के चेहरों पर लौटी खुशी
जागरण संवाददाता, रामपुर : लॉक डाउन में जहां आम जन जीवन थम सा गया है। वहीं कई मामलों में इसके फायदे भी नजर आ रहे हैं। इस दौरान सबसे सुखद तस्वीर पर्यावरण के मोर्चे पर ही सामने आ रही है। सड़कों पर वाहनों के न चलने से जहां आबोहवा साफ हुई है, वहीं फैक्ट्रियां बंद होने से नगर से होकर बह रही कोसी का जल भी साफ हो चला है। इसके पानी में बच्चे फिर से मस्ती करने लगे हैं, साथ ही इसके किनारों से गायब हुए पक्षियों के झुंड भी वापस लौट आए हैं।
ऐसे में नदी किनारे बसे गांवों के लोग अब चैन की सांस ले पा रहे हैं। लॉक डाउन से पहले नदी के किनारे बसे गांवों की स्थिति काफी दयनीय हो चली थी। कारखानों से निकला पानी नदी में प्रवाहित किए जाने से इसका जल विषैला हो चला था। इसे पीने से पशु बीमार होने लगे थे। गर्मी के दिनों में नदी में बच्चों की अठखेलियां भी बंद हो चली थीं। नदी पार कर खेतों पर जाना भी किसानों के लिए किसी मुश्किल से कम नहीं था। नदी के प्रदूषित पानी में घुसने से उनकी त्वचा में खुजली की शिकायत हो जाती थी। इसको लेकर किसानों द्वारा कई बार अधिकारियों से शिकायत की गई थी। अचानक लॉक डाउन ने इस नदी को जैसे जीवन दान दे दिया। लॉक डाउन हुआ तो नगर भर के कारखाने बंद हो गए। इससे वहां का प्रदूषित जल नदियों में जाना बंद हो गया। ऐसे में आज की तारीख में कोसी चैन की सांस ले पा रही है। इस का जल निर्मल हो चुका है। बोले किसान
फैक्ट्रियों ने नदी की हालत खराब कर दी थी। हमारे पशु इसका पानी पीने से बीमार होने लगे थे। नदी पार जाने में हमारे शरीर में भी एलर्जी हो जाती थी। अब इस सब से छुटकारा मिल चुका है।
-भूकन सिंह जौलपुर अब कोसी का पानी साफ हो चुका है। किसान बिना परेशानी नदी पार कर रहे हैं। पशुओं ने भी नदी का पानी पीना शुरू कर दिया है। वहीं गांव के बच्चे भी अब नदी में नहाने लगे हैं। उधर गर्मियों में नदी किनारे आने वाले पक्षियों के झुंड भी बरसों बाद अब नजर आने लगे हैं।
-शेर सिंह, हसनपुर प्रशासन अब देखे कि नदी की हालत खराब करने के लिए जिम्मेदार कौन था। जब से लॉक डाउन में फैक्ट्रियां बंद हुई हैं, नदी साफ हो गई है। अब तो नदी किनारे खेतों में कटाई कर रहे किसान भी प्यास लगने पर नदी का पानी आसानी से पी ली रहे हैं। -कल्याण सिंह, मुहम्मद पुर लॉक डाउन में वातावरण प्रदूषण मुक्त होने से सिद्ध हो गया है कि इसके लिए किसानों के पराली जलाने को दोष देना ठीक नहीं है। अत: उन पर इसको लेकर किए मुकदमे वापस लिए जाएं। साथ ही कोर्ट में गलत तथ्य प्रस्तुत करने वालों पर भी कार्रवाई की जाए। - हसीब अहमद, किसान नेता