बच्चों को बचपन से सिखाएं महिलाओं का सम्मान करना
बचों को बचपन से सिखाएं महिलाओं का सम्मान करना
जागरण संवाददाता, रामपुर : ज्वाला नगर स्थित राजकीय बाकर इंटर कॉलेज में दैनिक जागरण की ओर से संस्कारशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बच्चों ने इंसान के जीवन में महिलाओं के स्थान पर चर्चा करने के साथ ही उन्हें सम्मान देने पर बल दिया। कक्षा नौ के छात्र अमन ने कहा कि बिना महिला के जीवन का आरंभ ही नहीं होता। ऐसे में वह हर स्थिति में हमारे लिए पूज्यनीय हो जाती हैं। हम सबको उन्हें पूरा सम्मान देना चाहिए।
कहा कि वर्तमान समय में हम देखते हैं कि लोगों के मन में महिलाओं के प्रति विचारधारा तेजी से बदलती जा रही है। ऐसा नहीं है कि सब लोग एक जैसे हैं, लेकिन कुत्सित विचारधारा के कई लोग महिलाओं को हेय ²ष्टि से देखने के साथ ही उन्हें बुरी नजर से देखने लगे हैं। सुबह को समाचार पत्र उठाओ तो या टीवी का स्विच ऑन करो तो महिलाओं के साथ घटी बुरी घटनाओं के समाचार पढ़ने, देखने को मिलते हैं। यह चिता की बात है। इसके लिए आवश्यक है कि बच्चों को उनके घर से ही महिलाओं का सम्मान करने की शिक्षा मिलनी चाहिए।
कक्षा 12 के आकाश ने कहा कि महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में गौरतलब है कि हमसे कहीं न कहीं चूक हो रही है, जिस कारण युवाओं में भटकाव पैदा हो रहा है। उनके मन में प्रेम की भावना के स्थान पर हवस की भावना जन्म ले रही है। आज के युवाओं में महिलाओं के प्रति समर्पण का भाव खत्म होता जा रहा है। इसका कारण कहीं न कहीं हम सबके बचपन में ही छिपा है। बचपन से ही अच्छी शिक्षा का अभाव हमें गुनाह के दलदल में धकेल देता है। यदि शुरू से युवाओं को महिलाओं का सम्मान करना सिखाया जाए तो कोई कारण ही नहीं कि वे महिलाओं के प्रति बुरे भाव मन में ला सकें।
कक्षा 10 के विशाल ने कहा कि इसके लिए महिलाओं को ही आगे आना चाहिए। उन्हें अपने पुत्र को शुरू से ही शिक्षा देनी चाहिए कि वे महिलाओं या लड़कियों का सम्मान करें। कक्षा 10 के राजीव ने कहा कि लड़कों को बचपन में ही सिखाया जाए कि वे महिलाओं की इज्जत करें। उन्हें बताएं कि उनके जीवन में कि महिलाओं की भूमिका क्या होती है। उन्हें बताना चाहिए कि परिवार में पुत्री होने से क्या फायदे होते हैं। अंत में कक्षा 12 के बलजीत ने कहा कि बच्चे की पहली शिक्षक उसकी मां होती है। इसलिए मां की जिम्मेदारी है कि वह बच्चे को संस्कार देकर बचपन से ही महिलाओं का सम्मान करना सिखाए। विशेषकर बेटों को नारियों का सम्मान करना बताएं। एक सच यह भी है कि बच्चे परिवार के सदस्यों के व्यवहार की नकल करते हैं, इसलिए प्रत्येक सदस्य की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वह ऐसा व्यवहार न करें जिसका अनुसरण कर बच्चा गलत मार्ग अपना ले।