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भाईचारे का पैगाम देती हैं खानकाह :कमालुद्दीन

हजरत शाह अहमद अली खां और मौलाना शाह वजीह उद्दीन अहमद खां के उर्स के मौके पर खानकाह म

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Nov 2018 08:41 PM (IST)Updated: Sun, 25 Nov 2018 08:41 PM (IST)
भाईचारे का पैगाम देती हैं खानकाह :कमालुद्दीन
भाईचारे का पैगाम देती हैं खानकाह :कमालुद्दीन

हजरत शाह अहमद अली खां और मौलाना शाह वजीह उद्दीन अहमद खां के उर्स के मौके पर खानकाह में सेमिनार का आयोजन जागरण संवाददाता, रामपुर : लखनऊ विश्वविद्यालय में फारसी के विभागाध्यक्ष डा. उमर कमालुद्दीन ने कहा कि ने खानकाह भाईचारे का पैगाम देती हैं। वह खानकाह अहमदिया कादरिया में हुए सेमिनार में बोल रहे थे।

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हजरत शाह अहमद अली खां और मौलाना शाह वजीह उद्दीन अहमद खां के उर्स के मौके पर खानकाह में सेमिनार का आयोजन किया गया। इस मौके पर डा. उमर ने कहा कि फारसी की मशहूर शब्द कोष गयासुल-लुगात 1930 में रामपुर में लिखा गया। इसके अब तक 38 संस्करण छप चुके हैं। ईरान व अफगानिस्तान में आज तक यह शब्द कोष छप रहा है। सेमिनार की सदारत कर रहे रजबपुर दरगाह के सज्जादानशीन ख्वाजा राशिद फरीदी ने कहा कि खानकाहों का पैगाम दिलों को जोड़ना है, तोड़ना नहीं। इसीलिए ख्वाजा मोईन उद्दीन चिश्ती अजमेरी को बदनाम करने वाले सुधर जाएं, क्योंकि वे खानकाही निजाम को तबाह व बर्बाद कर रहे हैं। वे लोग फौरी संभल जाएं और इत्तेहाद पैदा करें। , मदरसा आलिया के पूर्व प्रधानाचार्य कारी राशिद मुजदद्दी ने कहा कि तालिमे सूफिया से ही दुनिया में अमन कायम किया जा सकता है। अगर कांटे बिछाने वाले को कांटे बिछाकर जवाब दिया जाएगा तो पूरी दुनिया कांटों से भर जाएगी, इसलिए कांटे बिछाने वालों पर फूलों की बारिश कर दुनिया को कांटों से महफूज रखा जाए। बुराई का बदला बुराई से न देकर अच्छाई से दिया जाए। रामपुर में गंगा जमना तहजीब के अलमबरदार रमेश कुमार जैन ने कहा कि कादरी सिलसिले की मशहूर खानकाह हजरत हाफिज साहब जमाल उल्लाह साहब का रूहानी फैजान आज भी जारी है। उनके खलीफा हजरत शाह दरगाही महबूबे इलाही ने रूहेलखंड में रूहानियत के दरिया बहा दिए। उसी दरिया की एक साख हजरत शाह इमामुद्दीन के जरिये खानकाह अहमदिया कादरिया में आई। सेमिनार का संचालन कर रहे डा. शायर उल्ला खां वजीह ने सेमिनार के मकसद पर रोशनी डाली। इस मौके मौलवी मोहम्मद परवेज अली फुरकानी, मोहम्मद हसीब फुरकानी, डा. मोहम्मद खाबीब, मौलवी मआरिफ उल्ला खां कादरी वजीह, मौलवी मोहम्मद सईद अहमद कादरी फुरकानी, अनवार अहमद कादरी शीरी, अमन जुनैद नसीमी, मौलवी एतेशाम उल्ला खां कादरी, मौलाना फहीम अहमद सकलैनी, जुनैद अकरम फारूकी, डा. शरीफ अहमद कुरैशी आदि ने विचार रखे। शहर इमाम मौलाना मुफ्ती महबूब अली की दुआ के साथ ही सेमिनार संपन्न हुआ।


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