हुनर हाट में दस्तकारी का कमाल
रामपुर हुनर हाट में आए वाराणसी के कमाल अहमद का हुनर भी उनके नाम की तरह कमाल है। उनकी बनारसी साड़ी और सूट को देखते ही महिलाएं खिची चली आती हैं। हुनर हाट में बिक्री पर कोई टैक्स नहीं है इसलिए दाम भी बाजार के मुकाबले बहुत कम हैं। इसलिए इनकी डिमांड भी खूब है।
रामपुर: हुनर हाट में आए वाराणसी के कमाल अहमद का हुनर भी उनके नाम की तरह कमाल है। उनकी बनारसी साड़ी और सूट को देखते ही महिलाएं खिची चली आती हैं। हुनर हाट में बिक्री पर कोई टैक्स नहीं है, इसलिए दाम भी बाजार के मुकाबले बहुत कम हैं। इसलिए इनकी डिमांड भी खूब है।
हुनर हाट में देश के 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से दस्तकार और शिल्पकार आए हैं, जो अपने साथ अपने हुनर के जरिए बनाया सामान भी लाए हैं। वाराणसी से कमाल अहमद अपने हाथ से बने बनारसी सूट, दुपट्टे और साड़ी लाए हैं। उन्होंने कपड़ा बनाने से लेकर फिनिशिग तक सारा काम अपने हाथ से किया है। सिल्क की साड़ी और सूट को देखते ही महिलाएं आकर्षित हो जाती हैं। सोमवार को बारिश के कारण बहुत कम लोग ही हुनर हाट पहुंचे, लेकिन कमाल अहमद के स्टाल पर महिलाएं खूब आ रही थीं। इसकी वजह इनकी साडी और सूट की बेहरीन डिजाइनिग रही। कमाल बताते हैं कि यह उनका पुस्तैनी काम है। उनके परिवार के सभी लोग दादा, दादी, पिता, भाई, बहन, मां इसी काम को करते हैं। घर में ही हथकरघा से कपड़ा तैयार करते हैं। इसके बाद वीविग और कटिग करते हैं। रोला पालिश के जरिए साड़ी और सूट की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।
बाजार से आधे दाम
कमाल बताते हैं कि हुनर हाट में वह मार्केट से आधे दाम पर साड़ी और सूट बेच रहे हैं। इसकी वजह सरकारी सुविधाओं का मिलना है। उन्हें हुनर हाट तक आने जाने का खर्च मिलने के साथ ही खाने के लिए पैसा मिल रहा है। स्टाल भी फ्री में है। कपड़ा बेचने पर कोई टैक्स भी नहीं लग रहा है। शोरूम में जो साड़ी पांच हजार की बिकती है, उसे वह मात्र ढाई हजार में बेच रहे हैं। उनके पास डेढ़ हजार से लेकर 20 हजार तक की साड़ी है, जबकि सूट एक हजार से तीन हजार तक का है। दुपट्टा पांच सौ से लेकर दो हजार रुपये तक का है।