इस्लाम देता है भाईचारे का पैगाम
इस्लाम देता है भाईचारे का पैगाम
रामपुर : मिस्टन गंज स्थित खानकाहे अहमदिया कादरिया में शाह अहमद अली खां के 160वें तथा आजम शाह वजीहुद्दीन अहमद खां के 33वें उर्स के पहले दिन सेमिनार आयोजित किया गया। इसकी शुरुआत कारी मोहम्मद बिलाल हसन फुरकानी द्वारा तिलावत से किया गया। उसके बाद मौलवी मोहम्मद अमान फुरकानी ने नात पेश कीं। उसके बाद डॉ. शायर उल्लाह खां वजीही ने सेमिनार के मकसदों पर रोशनी डाली।
उन्होंने कहा कि खानकाहों का मुकाम इस्लाम में बहुत ऊंचा है, क्योंकि यहां से भाईचारे और मुहब्बत का पैगाम दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यहां अच्छे अखलाक का नमूना पेश किया जाता है। हर मजहब के इंसान का दर्द यहां महसूस किया जाता है दूसरे लोगों को भी ऐसा करने का सबक दिया जाता है। अलीगढ़ से आए डॉ. इरफान नदवी ने कहा कि सूफीवाद मरतबा प्राप्त करने का नाम नहीं है। अवाम का कल्याण करने का नाम सूफिज्म है। किसी भी जाति-धर्म का इंसान हो, बिना किसी भेदभाव के उनका कल्याण करने का भाव ही सूफीवाद कहलाता है। मौलाना मआरिफ उल्लाह खां ने कहा कि सूफियों ने खानकाहों में बैठ कर लोगों के दिलों को साफ करने का काम किया। उनके बाद डॉ. हफीज उर्रहमानी ने कहा कि इस्लाम ने दुनिया से जहालत का खात्मा करके इल्म व फन के दरवाजे खोले और इंसान को कामयाबी के रास्तों पर चलने का पैगाम दिया। इस अवसर पर मोहम्मद समीउद्दीन को खतीबे आजम तथा सरदार जितेंद्र सिंह को खानकाही अवार्ड दिया गया। कारी फरहत सुल्तान खां, मौलाना नासिर खां फुरकानी आदि उपस्थित रहे।