रामपुर में नवाबी दौर में आई थी औद्योगिक क्रांति, लगवाई थीं 33 फैक्ट्रियां Rampur News
डायरेक्टर केपी सिंह बताते हैं कि फैक्ट्री सरकार को रोज 20 करोड़ टैक्स दे रही है। साथ ही करीब पांच हजार लोगों को रोजगार भी दे रही है।
रामपुर (मुस्लेमीन)। रियासत के आखिरी नवाब रजा अली खां के दौर में रामपुर में औद्योगिक क्रांति आई। इस दौरान यहां 33 फैक्ट्रियां लगाई गईं। इनमें रजा शुगर मिल, बुलंद शगुर मिल, रजा टैक्सटाइल, रामपुर डिस्टलरी आदि फैक्ट्रियां शामिल रहीं। लेकिन, बाद में अधिकतर फैक्ट्रियां बंद होती चली गईं। रामपुर डिस्टलरी ही ऐसी फैक्ट्री है, जो आज भी प्रगति की राह पर है। इस फैक्ट्री ने इतनी तरक्की की है कि रोजाना 20 करोड़ टैक्स सरकार को दे रही है।
रजा अली खान के पास थी बेशुमार दौलत
रामपुर रियासत के आखिरी नवाब रजा अली खान की बेशुमार दौलत थी। अब उनकी इसी दौलत के बंटवारे की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने रामपुर के औद्योगिक विकास पर विशेष जोर दिया। उनके दौर में रामपुर में बड़े-बड़े उद्योग धंधे लगे। नवाब रजा अली खान ने जब ङ्क्षसहासन संभाला था तब रामपुर में आर्थिक हालात खराब थे। उन्होंने उद्योगों के विकास के लिए योजना बनाई। दिल्ली के एक अंग्रेज उद्योगपति ग्रांट गोवन रेमंड से बात की और रामपुर में चीनी मिल लगवाने का आग्रह किया। तब उन्होंने यहां 20 जनवरी 1933 को रजा चीनी मिल लगवाई। इसके बाद सात फरवरी 1936 को रजा बुलंद फैक्ट्री लगी।
इंडस्ट्रीयल बोर्ड बनाया
वरिष्ठ अधिवक्ता शौकत अली खां ने रामपुर का इतिहास लिखा है। वह कहते हैं कि नवाब रजा अली खान ने घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए इंडस्ट्रीयल बोर्ड बनाया गया। इस बोर्ड में एक लाख रुपये आरक्षित किए गए। इस रकम से उद्यमियों की मदद की गई। 11 जुलाई 1932 को इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया की रामपुर में स्थापना हुई। रियासत ने बैंक को इमारत और बिजली मुफ्त में दी। साथ ही तीन लाख रुपये 16 वर्ष के लिए केवल मात्र एक फीसद ब्याज पर फिक्स डिपॉजिट किए। 1938 में यहां रजा टेक्सटाइल की स्थापना की गई। इसके बाद रामपुर में कारखानों की होड़ लग गई और कानपुर के बाद यूपी का सबसे बड़ा उद्योग केंद्र बन गया। रामपुर में लगे कारखानों में 1972 तक 6023 कर्मचारी कार्यरत थे। राजा शुगर मिल में 1168 और रजा टेक्सटाइल में 2532 काम करते थे। उस दौर में कुल 33 उद्योग धंध लगे। 1942 में 50 लाख की लागत से रामपुर डिस्टलरी लगी। रेडिको खेतान की इस फैक्ट्री का मार्केट कैप अब आठ हजार करोड़ हो गया है।