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नवाबों के हथियारों पर शौकीनों की नजर, हासिल करने के लिए लगा रहे जुगत Rampur News

रामपुर का नवाब खानदान एक बार फिर से सुर्खियों में है। एक तरफ जहां खानदान के वंशजों में हथियारों का बंटवारा किया जाना है वहीं शौकीन लोगों की इन हथियारों पर नजर है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 01:02 PM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 01:02 PM (IST)
नवाबों के हथियारों पर शौकीनों की नजर, हासिल करने के लिए लगा रहे जुगत  Rampur News
नवाबों के हथियारों पर शौकीनों की नजर, हासिल करने के लिए लगा रहे जुगत Rampur News

रामपुर (मुस्लेमीन)। नवाब खानदान के हथियारों के जखीरे में हजारों हथियार शामिल हैं। अखबारों में इन हथियारों के फोटो आने के बाद हथियारों के शौकीन इन्हें पाने की जुगत में लग गए हैं। वे जुगाड़ लगा रहे हैं कि इन्हें कैसे अपने घर की शान बनाया जाए। दरअसल, ज्यादातर हथियार पुराने हो चुके हैं। कई को जंग भी लग चुके हैं लेकिन, आज भी इनकी बड़ी अहमियत है। किसी जमाने में ये नवाबों की शान रहे हैं, इसलिए इन्हें पाने के लिए लोग पूरी कोशिश में लगे हैं। इन हथियारों का बंटवारा भी होना है, पर सरकारी नियमों के मुताबिक कोई भी दो से ज्यादा हथियार नहीं रख सकेगा। ऐसे हालात में इन हथियारों की बिक्री होना लगभग तय माना जा रहा है, जब ये असलाह बिकेंगे तो हथियारों के शौकीन लोगों को भी मिल सकेंगे। कुछ लोग तो निष्क्रिय हो चुके हथियारों को अपने घरों में शोपीस के रूप में लगाएंगे। 

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साहब के लिए दुआएं 

जिले के बड़े हकिम यानी कलक्टर साहब के लिए आजकल खूब दुआएं मांगी जा रही हैं। दरअसल, सूबे में उनका प्रतिनियुक्ति का कार्यकाल लगभग पूरा होने को है। उनके चाहने वाले दुआएं मांग रहे हैं कि हाकिम का कार्यकाल आगे बढ़ जाए, जबकि उनके विरोधी दुआएं मांग रहे हैं कि हाकिम जल्दी से रुख्सत हो जाएं। हाकिम ने नवाबों के शहर में रहते बड़े-बड़े कारनामों को अंजाम दिया है। बड़े-बड़े नेताओं पर शिकंजा कसा है। जिले में ही नहीं, बल्कि दूर-दूर तक उनके इन कारनामों की गूंज है। इससे उन लोगों को भी परेशानी हुई है, जिन पर शिकंजा कसा गया है। इसलिए वे हाकिम के बाहर चले जाने की दुआएं मांग रहे हैं, जबकि उनके करीबी उनके रुकने की दुआएं मांग रहे हैं। अब देखना है कि दुआ किस पक्ष की कबूल होती है। हाकिम अपनी कुर्सी पर सलामत रहेंगे या फिर सूबे से ही बाहर का रास्ता देखेंगे। 

अचानक सक्रिय हो गए नेताजी 

कोसी नदी पर लालपुर पुल का मुद्दा कई साल पुराना है। इसे लेकर आंदोलन भी हुए हैं, लेकिन पिछले कई महीने से मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है।  अब अचानक नेताजी सक्रिय हो गए हैं। महल वाले हों या फिर जिला पंचायत वाले, पुल को लेकर सक्रियता दिख रही है। कह रहें हैं कि अब तो पुल बनवाकर ही दम लेंगे। नेताजी आखिर ऐसा क्यों कह रहे हैं? इसके पीछे भी राज है। लोग कह रहे हैं कि पिछले दिनों जिले के बड़े हाकिम ने इस मामले को लेकर सरकार को फाइल भेजी है। उम्मीद जताई जा रही है कि शीघ्र ही अधूरे पुल के लिए बजट मंजूर होने वाला है। नेताओं को भी इसकी भनक लग गई है, इसीलिए अब वे सक्रिय हो रहे हैं, ताकि बजट मिलने पर वे जनता में कह सकें कि हमने भी पुल के लिए बहुत संघर्ष किया है, लेकिन जनता सब जानती है। 

जब उनका जलवा कायम था

एक दौर था, जब रामपुरी खां साहब का जलवा कायम था। उन्हें देखते ही अच्छे अच्छों की हवा खिसक जाती थी। वर्दी वाले हों या दूसरे हाकिम, खां साहब से आंख मिलाने की जुर्रत कोई नहीं कर पाता था लेकिन, आज वही हाकिम, खां साहब की ओर नजरे टेढ़ी किए हैं। सब के सब खां साहब को सबक सिखाने में लगे हैं। एक-एक इंच जमीन का हिसाब ले रहे हैं लेकिन, खां साहब भी कानूनी दांव पेच लड़ा रहे हैं। कोर्ट कचहरी में खूब मुकदमेबाजी कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि एक दिन उन्हें इंसाफ जरूर मिलेगा लेकिन, अफसर हैं कि इससे पहले ही हिसाब पूरा करना चाहते हैं। खां साहब की यूनिवर्सिटी में जमीन नाप ली है। अफसरों की नजर अब रास्तों की जमीन पर बनी इमारतों पर लगी है। इन्हें भी गिराने के लिए प्लाङ्क्षनग करने में लगे हैं। इसके लिए नोटिस पहले ही दे चुके हैं।  


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