गरजी जेसीबी और ध्वस्त किया रोजगार
जागरण संवाददाता रामपुर जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह के आदेश पर दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर पालिका की जमीन से अतिक्रमण का सफाया कर दिया गया।
रामपुर : जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह के आदेश पर दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर बनी दुकानों पर जेसीबी चली तो रोजगार को तहस-नहस करती चली गई। प्रशासन की दलील थी कि पालिका की जमीन से अतिक्रमण का सफाया किया गया है। यहां गैर कानूनी ढंग से बनी करीब दर्जन भर दुकानों को जेसीबी चलाकर ध्वस्त कर दिया। दुकानदार कार्यवाही का विरोध करते हुए चिल्लाते रहे कि नोटिस दिए बगैर ही उनकी रोजी रोटी छीन ली गई। लेकिन सब बेकार।
मामला सिविल लाइंस क्षेत्र में पनवड़िया के पास का है। यहां जजेज रोड जाने वाले तिराहे पर पालिका की जमीन है, जिस पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा था। यहां कच्ची और पक्की दुकानें बना ली गई थीं। इनमें हेयर कटिग सैलून, बाइक मैकेनिक, टीवी मैकेनिक, हार्डवेयर, प्लास्टिक व कबाड़ के सामान के गोदाम आदि की दुकानें थीं। इसके अलावा धर्मकांटा तक बना हुआ था।
पांच दिन पहले जिलाधिकारी पनवड़िया स्थित चमरौआ ब्लाक का निरीक्षण करने गए थे। इस दौरान उनकी नजर ब्लाक के सामने पालिका की जमीन पर अतिक्रमण कर बनाई गई दुकानों पर पड़ी। उन्होंने इस संबंध में अधीनस्थों को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इस पर गुरुवार को नगर मजिस्ट्रेट सर्वेश कुमार गुप्ता, अधिशासी अधिकारी राकेश कुमार गुप्ता, सीओ सिटी आशुतोष तिवारी, नगर पालिका के कर अधीक्षक गणेश प्रसाद आदि अधिकारी पुलिस फोर्स के साथ पहुंच गए। जेसीबी मंगवाकर एक-एक कर पालिका की जमीन पर बनाई सभी दुकानों को तोड़ दिया। दुकानदारों ने अधिकारियों की काफी मिन्नतें की कि उन्हें कुछ समय दे दिया जाए, ताकि वह सामान हटा लें, लेकिन किसी की नहीं सुनी गई। करीब एक घंटे में जेसीबी ने अतिक्रमण करके बनाई सभी दुकानों को ध्वस्त कर दिया। प्रशासन ने नहीं दिया समय, विरोध में दुकानदारों ने किया प्रदर्शन
जागरण संवाददाता, रामपुर : प्रशासन द्वारा पनवड़िया पर हटाए गए अतिक्रमण से दुकानदारों का लाखों रुपये का नुकसान हो गया। उन्हें सामान हटाने का मौका तक नहीं मिला। बिना नोटिस दुकानें तोड़ने के विरोध में दुकानदारों ने प्रदर्शन किया। नाराजगी जताई। दुकानदारों का कहना था कि यह जमीन किसकी है, उन्हें पता नहीं। इस जमीन पर बनी दुकानों को नासिर और माजिद से हमने किराये पर लिया था। दुकानों को तोड़ने से उन दोनों का कोई नुकसान नहीं हुआ, बल्कि हम गरीबों की रोजी-रोटी छीन ली। यदि प्रशासन हमें नोटिस देता तो दुकान का सामान हटाने का समय मिल जाता। इस तरह दुकानें तोड़ने से लाखों रुपये कीमत का सामान भी बर्बाद हो गया। यहां कई दुकानें तो 20 साल पुरानी हैं। प्लास्टिक के कबाड़ की दुकान चलाने वाले मुमताज बताते हैं कि वह वर्ष 1997 से यहां दुकान चला रहे हैं। इनके बराबर में ही राजा सैफी की लोहे के कबाड़ की दुकान है। उन्होंने बताया कि उनका एक लाख रुपये का नुकसान हो गया। इसके अलावा बाइक मैकेनिक भूरा, टीवी मैकेनिक इमरान, सैलून संचालक नाजिम, बाइक मैकेनिक नवाबजान, हार्डवेयर की दुकान चलाने वाले निसार, कबाड़ की दुकान करने वाले नदीम अहमद कुरैशी आदि ने भी प्रशासन द्वारा कोई नोटिस न दिए जाने को लेकर नाराजगी जताई।
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