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राशन कार्डों से पात्रों के नाम गायब, बीडीओ व लेखपाल समेत कई फंसे

रामपुर : एक ओर सरकार राशन वितरण प्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिए सख्ती कर रही है

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 10:06 PM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 10:06 PM (IST)
राशन कार्डों से पात्रों के नाम गायब, बीडीओ व लेखपाल समेत कई फंसे
राशन कार्डों से पात्रों के नाम गायब, बीडीओ व लेखपाल समेत कई फंसे

रामपुर : एक ओर सरकार राशन वितरण प्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिए सख्ती कर रही है, वहीं दूसरी ओर सरकारी अधिकारी और कर्मचारी धांधली करने से बाज नहीं आ रहे हैं। अब सैदनगर ब्लाक में राशन कार्डों में धांधली का मामला सामने आया है, जहां कई पात्रों के नाम राशन कार्ड से काट दिए गए और उनके स्थान पर अपात्रों के नाम जोड़ दिए गए। धांधली के इस आरोप में खंड विकास अधिकारी से लेकर लेखपाल और पूर्ति निरीक्षक समेत कई अधिकारी फंस गए हैं। अदालत ने इन सभी के खिलाफ मुकदमा चलाने के आदेश अजीमनगर थाना पुलिस को दिए हैं।

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राशन वितरण में धांधली का यह मामला सैदनगर ब्लाक के सींगनखेड़ा गांव का है। गांव के ओम प्रकाश लोधी, देवीदास, राम कुमार, कुदरत अली, ओम प्रकाश और मुन्नी लाल का कहना है कि उन समेत 68 ग्रामीणों के राशन कार्ड बने थे। सभी कार्ड पात्र गृहस्थी सूची के मुताबिक बने थे, जो एनआइसी में भी दर्ज थे। लक्ष्य के मुताबिक बने होने के चलते इनमें कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता था, क्योंकि वर्ष 2016 में पूर्व प्रधान की शिकायत पर कार्डों की जांच हो चुकी थी। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट कर दिया था कि सूची में शामिल सभी कार्ड खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अनुसार बने थे। लक्ष्य के अभाव में इनमें कोई परिवर्तन संभव नहीं है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि तत्कालीन खंड विकास अधिकारी जय नारायन स्वरूप भटनागर, ग्राम विकास अधिकारी संजीव कुमार गौतम और तत्कालीन हल्का लेखपाल आनंदवीर और पूर्ति निरीक्षक कमल कुमार दीक्षित ने कुछ अन्य कर्मचारियों से साज करके कुछ पात्र महिलाओं को अपात्र दर्शाकर उनके नाम कार्ड से काट दिए। नौ नवंबर 17 को देवीदास, रामकुमार, ओम प्रकाश और मुन्नी लाल की पत्नी राशन लेने वहां गईं तो विक्रेता ने कार्ड में नाम न होने की बात कहकर राशन नहीं दिया। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत जिलाधिकारी से की। मंडलायुक्त को पत्र लिखा। थाने में शिकायत की। कार्रवाई न होने पर ग्रामीणों ने अधिवक्ता राम ¨सह लोधी के माध्यम से अदालत में प्रार्थना पत्र दिया। इस पर अदालत ने मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं। हालांकि पहले ग्रामीणों का यही प्रार्थना पत्र निचली अदालत से खारिज हो चुका है। बाद में उन्होंने सेशन कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था।


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