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सरकारी भवनों पर दबंगों ने किया कब्जा

खपरैल मधुपुरा और इमरता में बने सरकारी भवनों का उपयोग ग्रामीण उपले पाथने लकड़ी एवं भूसा रखने के लिए कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 May 2019 07:38 PM (IST)Updated: Wed, 15 May 2019 07:38 PM (IST)
सरकारी भवनों पर दबंगों ने किया कब्जा
सरकारी भवनों पर दबंगों ने किया कब्जा

खपरैल, मधुपुरा और इमरता में बने सरकारी भवनों का उपयोग ग्रामीण उपले पाथने, लकड़ी एवं भूसा रखने के लिए कर रहे

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जागरण संवाददाता, रामपुर : सरकारी भवनों पर दबंगों ने अवैध रूप से कब्जे कर लिए हैं। डीएम के आदेश के बावजूद ग्रामीण सरकारी भवनों से कब्जे हटाने के लिए तैयार नहीं हैं। विभागीय उदासीनता के चलते यह भवन  निजि संपत्ति बनकर रह गए हैं। इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। गांवों में सरकारी भवनों की हालत अच्छी नहीं है। यहां बने आंगनबाड़ी केंद्र, मिनी सचिवालय एवं उपस्वास्थ्य केंद्र अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। ऐसे में इन भवनों से सरकारी योजनाओं का कितना और कैसे संचालन हो रहा होगा। इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। लाखों रुपये की कीमत से बने भवन बेमकसद होकर रह गए हैं। स्वार ब्लाक के छपर्रा गांव में मिनी सचिवालय बना है। इस पर वर्षों से  एक परिवार ने अवैध रूप से कब्जा जमा रखा है। इसी से सटा हुआ आंगनबाड़ी केंद्र है। यह भवन तो अच्छी हालत में है, लेकिन इसका उपयोग भी ग्रामीण उपले, लकड़ी और भूसा रखने के लिए कर रहे हैं।   मधुपुरा के आंगनबाड़ी केंद्र पर योजना का संचालन होने के बजाए एक ग्रामीण ने अवैध रूप से कब्जा जमा रखा है।

सैदनगर ब्लाक के इमरता गांव का उप स्वास्थ्य केंद्र तो करीब पांच साल से बंद पड़ा है। इसके चलते ग्रामीण इसका उपयोग कृषि उपकरण रखने के लिए कर रहे हैं। इसी ब्लाक के देवरनियां का केंद्र उपले पाथने के काम आ रहा है। इससे यह भवन भी खण्डहर में तब्दील होकर रह गया है। खेमपुर, दोंकपुरी, समोदिया और भोट बक्काल आदि गांवों में बने भवनों की कमोवेश यही हालत है। वर्षों से  ग्रामीण इन भवनों पर कब्जा जमाए बैठे हैं। इनमें पशु तक बांधे जा रहे हैं। दोकपुरी गांव में बने आंगनबाड़ी केंद्रों पर ग्रामीणों ने कब्जा कर रखा है।यह तब है जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिनी सचिवालयों के कायाकल्प करने के आदेश दिए थे। मुख्यमंत्री के आदेश पर सरकारी भवनों से कब्जे हटाने को डीएम भी हरकत में तो आए, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी। इससे दबंगों के हौसले और भी बुलंद हो गए। ऐसे में इन भवनों से संचालित होने वाली सरकारी योजनाओं का कितना लाभ ग्रामीणों को मिल रहा होगा। इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह का कहना है कि सरकारी भवनों से कब्जे शीघ्र ही हटवाए जाएंगे।

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