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नैतिक पतन का कारण होगा समलैंगिकता को बढ़ावा देना

रामपुर : समलैंगिकता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जहां एलजीबीटी (लेसबियन गे बाइसेक्सुअल एंड ट

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 12:23 AM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 12:23 AM (IST)
नैतिक पतन का कारण होगा समलैंगिकता को बढ़ावा देना

रामपुर : समलैंगिकता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जहां एलजीबीटी (लेसबियन गे बाइसेक्सुअल एंड ट्रांसजेंडर कम्यूनिटी) समुदाय में खुशी का माहौल है, वहीं भारतीय संस्कृति को मानने वाले इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं। उनका कहना है कि इस तरह के फैसले से समलैंगिकता को बढ़ावा मिलेगा और यह नैतिक पतन का कारण बनेगा। समलैंगिकता को अभी तक अपराध माना जाता था। अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि समलैंगिकता अपराध नहीं है। सभी को जीवन जीने का अधिकार है। यौन प्राथमिकता बाइलोजिकल और प्राकृतिक है। अंतरंगता और निजता किसी की निजी च्वाइस है। इसमें किसी को दखल नहीं देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर दैनिक जागरण ने शहर के बुद्धिजीवियों से बात की तो उन्होंने इस फैसले पर असहमति जताई। अधिवक्ता जमीर रिजवी का कहना है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन जहां समलैंगिकता की बात है तो यह भारतीय संस्कृति के विपरित है। यह फैसला समाज में हित में नहीं है। समाज में इस तरह की प्रवृत्ती बढ़ेगी तो समाज कहां जाएगा। भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता पर हमला होगा और वह नष्ट हो जाएगा। यह फैसला दुखद है। भविष्य में इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे।

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उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष प्रेम ¨सह भी इस फैसले को लेकर कुछ इसी तरह की राय रखते हैं। उनका कहना है कि इस तरह के रिश्तों को हमारे देश में सामाजिक मान्यता नहीं है। इस तरह के रिश्ते नैतिक पतन का कारण बनेंगे। यह प्रकृति के नियमों का उल्लंघन है।

पतंजलि योग समिति के जिलाध्यक्ष डॉ. पीएन मेहरा का कहना है कि भारतीय संस्कृति में रिश्तों का विशेष महत्व है। यहां जो भी रिश्ता होता है, उसका एक नाम और मर्यादा होती है। ऐसे रिश्ते जो प्रकृति के खिलाफ हों, उसे हमारा समाज नहीं अपनाता है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से समलैंगिकता को बढ़ावा मिलेगा और इसे भारतीय समाज कभी स्वीकार नहीं कर सकता।

पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष मुमताज फूल भी मानते हैं कि समलैंगकिता के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का फैसला भारतीय संस्कृति के खिलाफ है। हमारा समाज ऐसे रिश्तों को स्वीकार नहीं करता, जिसका कोई नाम न हो। समलैंगिक शादी उस मूलभूत विचार को बिल्कुल खत्म कर देगी, जिसमें हर बच्चे को मां-बाप का संरक्षण मिलना चाहिए।


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