सीआरपीएफ कांड की मजबूत विवेचना ने दिलाई फांसी की सजा
सीआरपीएफ कांड की मजबूत विवेचना ने दिलाई फांसी की सजा
जागरण संवाददाता, रामपुर : सीआरपीएफ कांड की विवेचना में हमने कोई कमी नहीं छोड़ी। तमाम साक्ष्यों के साथ ही टेक्निकल एविडेंस भी जुटाए। घायलों ने भी बयान दिए। इस सबके चलते आतंकियों को फांसी की सजा हो सकी। हमने इससे पहले भी एक और आतंकी मामले में विवेचना की थी, उसमें भी सात लोगों को उम्रकैद की सजा हुई थी। यह कहना है सीआरपीएफ कांड की विवेचना करने वाले सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक सत्य प्रकाश शर्मा का।
सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर जब आतंकी हमला हुआ था तब शर्मा सिविल लाइंस के कोतवाल थे। उन्होंने ही इस मामले की विवेचना की थी। बताते हैं कि करीब दो महीने इसी में जुटे रहे। सभी आरोपियों को गिरफ्तार कराया। विवेचना में तमाम साक्ष्य जुटाए, मौके से फिगर प्रिट लिए। मौके से बरामद कारतूस के खोखे की बैलिस्टिक एक्सपर्ट से रिपोर्ट ली, जिसमें उन खोखे का आतंकियों के हथियार से चलना साबित हुआ। फोरेंसिक रिपोर्ट और बैलिस्टिक रिपोर्ट से टेक्निकल एविडेंस मजबूत हुआ। इसके साथ ही घटना में घायल हुए पुलिस कर्मियों ने भी मजबूती से बयान दिए। हमारे भी अदालात मे लगातार तीन दिन बयान हुए और हमने घटना की पुष्टि की। उनके थाने के दारोगा ओम प्रकाश और सिपाही इंद्रपाल सिंह भी घायल हुए थे। विवेचना पूरी होने को थी तब ही प्रदेश सरकार ने आदेश किए थे कि आतंकी घटनाओं से संबंधित सभी मुकदमों की विवेचना एटीएस के सुपुर्द कर दी जाएं। तब प्रदेश में 14 मुकदमों की विवेचना एटीएस को सौंपी गई थी। हमारी विवेचना की समीक्षा के दौरान एटीएस को कोई कमी नहीं मिल सकी थी, जबकि अन्य विवेचनाओं में कमियां मिली थीं। बाद में एटीएस ने इस मामले में फाइनल चार्जशीट दाखिल की थी। उन्होंने बताया कि इससे पहले 1993 में 26 जनवरी को मेरठ में आतंकी घटना हुई थी, जिसमें पीएसी के एक जवान की मौत हुई थी, उसमें भी हमने विवेचना की थी। तब सात लोगों को उम्रकैद की सजा हुई थी, तब सुप्रीम कोर्ट से भी सजा की पुष्टि हुई थी।