पार्क की तरह बना दिए अंत्येष्टि स्थल
जनपद में कई श्मशान घाटों का कायाकल्प कर दिया गया देखकर लगता नहीं कि आप अंत्येष्टि स्थल म
जनपद में कई श्मशान घाटों का कायाकल्प कर दिया गया
देखकर लगता नहीं कि आप अंत्येष्टि स्थल में हैं या पार्क में
जागरण संवाददाता, रामपुर : आमतौर पर श्मशान घाट का जिक्र ही लोगों के मन को विचलित कर देता है। लेकिन, जनपद में कई श्मशान घाटों का कायाकल्प कर ऐसा बना दिया गया है कि अब वहां जाने से डर की अनुभूति नहीं, अपितु सुखद अनुभव होता है। इन्हें देख कर लगता ही नहीं कि आप किसी अंत्येष्टि स्थल में हैं या पार्क में। वहीं शासन की ओर से तीन वर्षों में 219.24 लाख के बजट से जिले में कुल नौ अंत्येष्टि स्थलों का निर्माण किया गया है।
एक समय था जब श्मशान घाट का नाम सुनते ही एक भयावह तसवीर दिमाग में उभर आती थी। उजड़ी सी एक जगह, जहां पर जलती चिताओं से उठती आग की लपटें मन में झ़रझ़ुरी सी पैदा करती थीं। ऐसे में वहां पर बह रही हवा की सांय-सांय भी भूतिया माहौल सा अहसास कराती थी। लेकिन, आज समय बदल चुका है। कई अंत्येष्टि स्थल ऐसे हैं, जिन्हे पार्क की तरह हराभरा बना दिया गया है। अब वहां पर जाने से दहशत नहीं महसूस होती, बल्कि वहां बैठ कर मन को सुकून मिलता है। एक सुखद अहसास का अनुभव होता है। नगर का मोक्षधाम भी इसका जीता जागता उदाहरण है। यह किसी पर्यटक स्थल से कम नहीं लगता। शासन की ओर से अंत्येष्टि स्थलों के निर्माण के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं। हर साल इसके लिए बजट जारी किया जाता है। एक अंत्येष्टि स्थल के लिए जिला पंचायत राज विभाग को 24.36 लाख का बजट मिलता है। इस बजट से 2017 में बिलासपुर के शिवनगर गांव में एक अंत्येष्टि स्थल बनवाया गया। 2018 में पांच श्मशान घाट बनवाए गए। जिनका निर्माण मिलक के श्यामपुर, शाहबाद के पटवाई व नानकार, बिलासपुर के हामिदाबाद व चमरौआ के पीपलगांव में करवाया गया। 2019 में तीन का निर्माण हुआ,जिनमें शाहबाद के ढकिया, बिलासपुर के खेमरी व मानपुर ओझा में निर्माण करवाया गया। पहाड़ी गांव में ग्राम पंचायत स्तर से अंत्येष्टि स्थल को पार्क जैसा रूप दिया गया है। यहां पर प्रवेश द्वार से लेकर अंदर तक का नजारा किसी पार्क से कम नजर नहीं आता। प्रधान पति अशोक कुमार बताते हैं कि गांव में काफी विकास कार्य करवाए गए हैं,जिसके अंतर्गत अंत्येष्टि स्थल का भी सौंदर्यीकरण करवाया है।