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रामपुर में साहित्य और सांस्कृतिक विरासत के मूल्यों के साथ लोगों को जोड़ना चुनौती

मंडलायुक्त मुराबादाबाद आजंनेय कुमार सिंह ने गायत्री स्मारिका का विमोचन किया। वह यहां र•ा लाइब्रेरी के सभागार में प्रसिद्ध उपन्यासकार प्रोफेसर ईश्वर शरण सिंहल की स्मृति में प्रोफेसर ईश्वर शरण सिंहल का साहित्यिक योगदान विषय पर रवि प्रकाश कवि एवं लेखक रामपुर द्वारा व्याख्यान कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि आए हुए थे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 01:20 AM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 01:20 AM (IST)
रामपुर में साहित्य और सांस्कृतिक विरासत के मूल्यों के साथ लोगों को जोड़ना चुनौती
रामपुर में साहित्य और सांस्कृतिक विरासत के मूल्यों के साथ लोगों को जोड़ना चुनौती

रामपुर, जेएनएन : मंडलायुक्त मुराबादाबाद आजंनेय कुमार सिंह ने गायत्री स्मारिका का विमोचन किया। वह यहां र•ा लाइब्रेरी के सभागार में प्रसिद्ध उपन्यासकार प्रोफेसर ईश्वर शरण सिंहल की स्मृति में ''प्रोफेसर ईश्वर शरण सिंहल का साहित्यिक योगदान'' विषय पर रवि प्रकाश, कवि एवं लेखक, रामपुर द्वारा व्याख्यान कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि आए हुए थे।

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इसका शुभारंभ डाक्टर अनवारूल हसन कादरी की तिलावते कुरान, सैयद नवेद कैसर शाह की नाते-पाक एवं डाक्टर प्रीति अग्रवाल द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ। आयुक्त मुरादाबाद ने डाक्टर अब्दुल रऊफ को गायत्री स्मारिका के संपादन के लिए प्रशस्ति पत्र से सम्मानित भी किया। आयुक्त ने कहा कि र•ा लाइब्रेरी में इस तरह के आयोजन होते रहना चाहिए। वर्तमान में यह बहुत बड़ी चुनौती है कि लोगों को कैसे इस साहित्य और सांस्कृतिक विरासत के मूल्यों के साथ जोड़ें। जोड़ने के लिए हमें जिस रंग और ढ़ग के साथ दुनिया बदल रही है। उससे अपने आप को जोड़ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि नवाब साहब हामिद मंजिल बनाकर अमर हो गये लेकिन इस हामिद मंजिल के मूल को लोगों तक पहुंचाने का तरीका खोजना होगा।

मुख्य विकास अधिकारी गजल भारद्वाज ने कहा कि एक साहित्यकार के शरीर के नष्ट हो जाने के बाद उसको दुनिया समझ पाती है। जान पाती है और यही उसकी पहचान है। रजा लाइब्रेरी में इतने पुराने और छिपे हुए खजाने को ढूंढ पाते हैं। हरिवंश राय बच्चन ने कहा था कि एक साहित्यकार, एक लेखक को सबसे ज्यादा खुशी तब नहीं होती जब उसकी पुस्तक छपती है। उसके गीत का कोई कॉन्सल्ट होता है। बल्कि जब वो अनायास ही किसी घाट पर चुपचाप बैठता है और उस घाट पर कोई उनके गीत या नज्म को अपनी बोली में गुनगुना रहा होता है तब उस साहित्यकार को सबसे ज्यादा खुशी होती है और उसे अपनी सफलता का एहसास होता है।

इस मौके पर कवि एवं लेखकर रवि प्रकाश ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि प्रो0 ईश्वर शरण सिंहल रामपुर के गौरव हैं। उन्होंने पूरे देश में रामपुर का गौरव बढ़ाया।

इस अवसर पर संपादक डॉ0 अब्दुल रऊफ ने गायत्री स्मारिका का परिचय दिया। प्रोफेसर ईश्वर शरण सिंहल के सम्बन्ध में कहा कि उनके द्वारा लिखित उपन्यास जीवन के मोड़ (1976), राहें टटोलते पाँव (1998), एहसास के दायरे (2006) कहानी संग्रह में लेखक की पारिवारिक स्थिति का भी वर्णन किया गया है।

इस दौरान डाक्टर आलोक सिंहल ने लाइब्रेरी का इस आयोजन के लिए आभार जताया। संचालन डाक्टर अबुसाद इस्लाहीने किया। इस दौरान सेवा निवृत्त प्राचार्य व संपादक गायत्री स्मारिका एवं प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. आलोक सिंहल समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।


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