Move to Jagran APP

मोह के त्याग से संभव है अकिचन धर्म का पालन : बाहुबली

एक मिनट प्रतियोगिता में प्रविका रही प्रथम

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 11:40 PM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2019 11:40 PM (IST)
मोह के त्याग से संभव है अकिचन धर्म का पालन : बाहुबली

बिलासपुर : पंडित बाहुबली जैन शास्त्री ने कहा कि आत्मा के अपने गुणों के अतिरिक्त किचित मात्र भी मेरा नहीं है, ऐसी भावना की पराकष्ठा उत्तम अकिचन धर्म है। उन्होंने यह बात मुहल्ला साहूकारा स्थित श्री दिगंबर जैन में आयोजित दशलक्षण महापर्व के दौरान प्रवचन में कहीं। कहा कि मकान, दुकान, सोना-चांदी, वस्त्र, नकदी आदि से मोह हो जाता है। आवश्यकता न होने पर भी हम इसमें जुड़े रहते हैं और इनमें निरंतर वृद्धि चाहते हैं। ये परिग्रह कहलाता है। सांसारिक उपयोग की वस्तुओं को आवश्यकता से अधिक न रखना ही उत्तम अकिचन धर्म का पालन करना कहलाता है। इससे पहले मंदिर परिसर में कस्तूर चंद्र जैन ने प्रथम कलशाभिषेक किया। संदेश जैन, मनीष जैन, आशीष जैन, आकर्ष जैन ने चारों दिशाओं से भगवान श्री जी का अभिषेक किया। नरेश चंद्र, प्रियांश जैन ने शांतिधारा की तथा साक्षी जैन ने परिवार के साथ मंगल आरती की। शिखा जैन सोलहकारण व्रत, अक्षत दशलक्षण व्रत कनिका, सिद्धांत, अशिका, संयम, अंजलि, भव्य, शंकुल रत्नत्रय व्रत पर बैठे एवं कृति, मधुमिता जैन बेला व्रत पर बैठे। सायंकालीन सभा में आरती जैन, कृति जैन ने भजन एवं अवनि जैन ने उत्तम आकिचन धर्म पर कहानी सुनाई। बाद में एक मिनट प्रतियोगिता कराई गई, जिसमें प्रविका जैन ने प्रथम, पुष्कर जैन ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। इस अवसर पर अर्चना जैन, साधना जैन, रिकी जैन, संध्या जैन, सरिता जैन, बबीता जैन, सीता जैन, सुमन जैन, निशा जैन, सरोज जैन, सचिन जैन आदि रहे।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.