भोग में लाई वस्तु को छोड़ देना त्याग धर्म
दशलक्षण महापर्व के दौरान हुए प्रवचन
जागरण संवाददाता, बिलासपुर : पंडित बाहुबली जैन शास्त्री ने कहा कि उपयोग में लाई गई या भोग में लाई वस्तु को छोड़ देना त्याग धर्म है। उन्होंने यह बात मुहल्ला साहूकारा स्थित श्री दिगम्बर जैन में आयोजित दशलक्षण महापर्व के दौरान प्रवचन में कही। उन्होंने दान चार प्रकार बताया। आहार दान, औषधि दान, शास्त्र दान एवं अभय दान। कहा कि आध्यामिक ²ष्टि से क्रोध, मान, माया, लोभ आदि विकारों का आत्मा का छूट जाना ही त्याग है। धन आदि से ममत्व छोड़कर इसे अन्य जीवों की सहायता हेतु उपलब्ध कराना दान करना कहलाता है। इससे पहले मंदिर परिसर में पचपन पुजारी गर्भगृह में विशेष पूजन वस्त्रों को धारण कर उपस्थित रहे। सर्वप्रथम चिराग जैन ने कलशाभिषेक किया। कस्तूर चंद्र जैन, विजय जैन, समकित जैन, गौतम जैन ने चतुष्कोणीय से भगवान श्री जी का अभिषेक किया। नरेश कुमार जैन, राजीव जैन ने शांतिधारा तथा सुशीला जैन ने परिवार के साथ मंगल आरती की।
उधर, सायंकालीन बेला में स्मिता जैन, अंजलि जैन ने भजन सुनाएं एवं नियम जैन ने त्याग धर्म की कहानी सुनाई। साक्षी जैन ने प्रश्न मंच का आयोजन किया। इसमें कपिल जैन-आरती जैन ने टीम ने प्रथम, प्रिया जैन-राशि जैन ने द्वितीय स्थान पर रही। इस अवसर पर हर्ष जैन, शंकुल जैन, विनीत जैन, अमित जैन, अशोक जैन, आशीष जैन, अंकुर जैन, सुरभि जैन, शालू जैन, वीरेश जैन, सतेंद्र जैन, स्वदेश जैन, संदेश जैन, अजय जैन, पारस जैन, पुनीत जैन, नितिन जैन, अतिन जैन, संभव जैन, अनुभव जैन, अंजना जैन, पूनम जैन, लक्ष्मी जैन, पारिखा जैन, मुदिता जैन, आकर्ष जैन, इशिता जैन, प्रेमलता जैन, मुधमिता जैन, प्रियांश जैन आदि रहे।