सेतु निर्माण को 70 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक ने उठाया बीड़ा
शाहाबाद : सेतु निर्माण हो जाए तो दर्जनभर से अधिक गांवों के लोगों के लिए विकास के रास्ते खु
शाहाबाद : सेतु निर्माण हो जाए तो दर्जनभर से अधिक गांवों के लोगों के लिए विकास के रास्ते खुल जाएंगे। सेतु निर्माण को 70 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक ने यह बीड़ा उठाया है। अब तक वह जनपद के प्रतिनिधियों के अतिरिक्त उप मुख्यमंत्री से मुलाकात कर पुल निर्माण की गुहार लगा चुके हैं। इसके अलावा उन्हें सेतु निर्माण इकाई ने पत्र भेजकर सेतु निर्माण के प्रस्ताव पास होने एवं धन न आने की बात कही है। वह पिछले पांच सालों से लगातार नेताओ एवं अधिकारियों को पत्र लिखकर जल्द सेतु निर्माण की मांग कर रहे हैं।
तहसील क्षेत्र में ऐसे गांव दर्जनभर से अधिक हैं, जिसमें मदारपुर, चंदनपुर का मझरा, कनोबी, सुपा, सूरजपुर, चंडिका एवं हुसैन गंज मुख्य गांव हैं। इनकी खेतिहर जमीने रामगंगा के दूसरी पार है। यहां बरसात के समय में एक नहीं दो नहीं चार-चार नदियों का संगम है। बरसात में जलस्तर बढ़ने पर ग्रामीणों को कई महीने तक अपनी जमीनों तक जाने से रोक देती हैं। यहां रामगंगा, कोसी, गागन, राझेड़ा आदि नदी में बाढ़ आने पर हर वर्ष किसानों को अपनी जमीन से दूर कर देती हैं। मदारपुर निवासी 70 वर्षीय सेवानिवृत्त अध्यापक धर्मपाल ¨सह के मुताबिक रामगंगा पार करते समय आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है। पांच वर्ष पूर्व उनके 18 वर्षीय सगे भतीजे केदार ¨सह की भी गंगा में डूबकर मौत हो गई थी। वह तब से ही पुल बनवाने के प्रयास में जुटे हैं। बरसात के दिनों में नदी पार नहीं जाया जा सकता है। पानी कम होने पर ग्रामीण बैलगाड़ी से नदी पार करते हैं।उसमें भी गहरे में जाने का खतरा मंडराता रहता है, लेकिन दो जून की रोटी के लिए किसानों का गंगा पार जाना मजबूरी बनता जा रहा है। हर वर्ष इन किसानों की हजारों बीघा भूमि बुवाई से वंचित रह जाती है। ऐसी स्थिति में किसानों को अब सेतु की ही आस बची है। वह बताते हैं कि सपा शासनकाल में ग्राम जैतोली से ग्राम मदारपुर तक किसानों की समस्याओं को देखते हुए सेतु निर्माण का सर्वे कराया गया था। कई दिन तक पीडब्ल्यूडी विभाग एवं सेतु निगम की संयुक्त टीम ने सर्वे किया था। बाद में सेतू निगम के मुख्य परियोजना प्रबंधक मुरादाबाद ने इसकी सहमति रिपोर्ट छह अप्रैल 17 को सेतु निगम मुख्यालय लखनऊ को भेज दी थी। तब से लेकर अब तक सरकार द्वारा विभाग को इसे बनाने के लिए धन नहीं भेजा गया है। अपने हाथ में लिए फाइल को दिखाते हुए वह कहते हैं कि पांच वर्षों से इस फाइल में लगातार मंत्रियों एवं अधिकारियों द्वारा भेजे पत्र बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन सेतु निर्माण नहीं हो पा रहा है।