'भूत' के चंगुल में भविष्य
खलीक खाबर, रामपुर। टांडा में न पोलियो, न वायरल और न कोई ज्ञात बीमारी। बस भूत, यानी बीता हुआ कल। वह
खलीक खाबर, रामपुर। टांडा में न पोलियो, न वायरल और न कोई ज्ञात बीमारी। बस भूत, यानी बीता हुआ कल। वह कल जो एक परिवार के हर बच्चे के लिए 6वें से 9वें बसंत तक काल बन जाता है। पहले पैरों को जकड़ता है। फिर उनको बेजान कर देता है। बाद में उड़ जाते हैं बच्चे के प्राण पखेरू। रह जाती है तो इस बीमारी के अज्ञात होने की गुत्थी, जिसे नहीं सुलझा पा रहा है पश्चिमी उत्तर प्रदेश का खास चिकित्सा विज्ञान।
नगर के मुहल्ला बरगद निवासी हाजी अतीक अहमद आढ़ती हैं। 15 साल पहले तक उनका भरा पूरा और खुशहाल परिवार था। उनके नौ बच्चे हुए, जिसमें छह बेटे और तीन बेटियां थीं। वर्ष 1999 में उनके बच्चों को एक-एक कर अनजान बीमारी घेरने लगी। सबसे पहले उनका बड़ा बेटा जुबैर आलम इसका शिकार हुआ। तब जुबैर नौ साल का था। अचानक एक दिन उसके पैरों ने काम करना बंद कर दिया। काफी उपचार कराया, लेकिन वह सही नहीं हुआ और 2004 में उसकी मौत हो गई। परिजनों ने तब इसे ऊपर वाले की मर्जी माना, लेकिन बेटे की मौत का गम परिजन अभी पूरी तरह भूले भी नहीं थे कि छह माह बाद ही अतीक की दस वर्षीया बेटी सीमा परवीन को भी यही दिक्कत हुई। उसके पैरों में दर्द हुआ और फिर पैर बेकार हो गए। वर्ष 2006 में उसकी भी मौत हो गई। इसके चार साल तक सब कुछ ठीक रहा, लेकिन वर्ष 2010 में उनके 13 वर्षीय बेटे आमिर को भी इस रोग ने घेर लिया। साल भर तक इलाज चलने के बाद 2011 में उसकी भी मौत हो गई। एक ही बीमारी से परिवार के तीन बच्चों की मौत ने अतीक और उसके परिवार को दहशत में ला दिया। खौफ और ज्यादा गहरा गया जब बीमारी का सिलसिला नहीं रुका। वर्तमान में भी उसके दो बेटे इस बीमारी की चपेट में हैं। इनमें 12 साल का याकूब और 14 साल का शारिक हैं। अब उसे अपने बाकी बच्चों की फिक्र होने लगी है। दरअसल, बाकी चार बच्चे जुनैद आलम, जकरिया और दो बेटियां अभी छोटे हैं। यह बीमारी उसके बच्चों पर तब अटैक करती है, जब उनकी उम्र छह से नौ साल के बीच होती है।
अतीक बताते हैं कि पता नहीं कौन सी बीमारी मेरे बच्चों को लग गई है। अब भी दो बेटे याकूब और शाकिर इस बीमारी के कारण विकलांग हो गए हैं। उन्हें मुरादाबाद, मेरठ, अलीगढ़ आदि शहरों के डॉक्टरों को भी दिखाया, लेकिन कोई बीमारी के बारे में नहीं बता सका। दोनों बच्चों की एमआरआई करा चुके हैं। पोलियो टेस्ट भी कराया, लेकिन बीमारी पकड़ में नहीं आई। अब बच्चों को ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट दिल्ली में दिखाएंगे।
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बच्चों की कई जांचें कराई जा चुकी हैं। बीमारी के बारे में स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। परिजनों ने भी उन्हें मुरादाबाद व मेरठ तक दिखाया है। पर, कोई भी कुछ नहीं बता पाया है। अब उनको आल इंडिया मेडिकल साइंस अथवा किसी बड़े अस्पताल में ले जाने की सलाह दी है।
डॉ. जहीन इल्यास, प्रभारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, टांडा (अतीक के बच्चों को शुरू से लेकर अबतक देखने वाले डॉक्टर)
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