अपराधियों को स्व-रोजगार से जोड़ने की करेंगे पहल : जेल अधीक्षक
- नवागत जेल अधीक्षक ने कारागार के भीतर बेहतर माहौल बनाने की शुरू की कवायद
रायबरेली : जेल में बंदी और कैदी खेती, किसानी करते हैं। कोरोना काल में यहीं से सबसे ज्यादा मास्क बने और निश्शुल्क वितरित किए गए। नवागत जेल अधीक्षक ने अब कारागार के भीतर यूनिटें लगाने के लिए उद्योगपतियों से संपर्क करना शुरू कर दिया है। उनका मानना है कि अपराधियों को स्व-रोजगार से जोड़कर अच्छा इंसान बनाया जा सकता है, इससे समाज में भी बेहतर माहौल बनेगा।
गौतमबुद्ध नगर से स्थानांतरित होकर आए जेलर सत्य प्रकाश को जिला कारागार में प्रभारी जेल अधीक्षक की जिम्मेदारी दी गई है। वह 2015 से 2017 तक लखनऊ जिला कारागार में जेलर रह चुके हैं। डिप्टी जेलर से प्रोन्नत होने के बाद 2010 में उन्हें जौनपुर जेल की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उन्होंने बताया कि जेल में सुरक्षा सु²ढ़ करना, व्यवस्थाएं ठीक करना, बंदी सुविधाएं बढ़ाने पर सबसे ज्यादा फोकस रहेगा।
नौकरी के अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि गौतमबुद्ध नगर की जेल में सरसों के तेल की मिल, रेडीमेड कपड़ों की सिलाई और एलईडी बल्ब की यूनिटें उद्योगपतियों के सहयोग से लगवाईं। ऐसा यहां भी प्रयास किया जाएगा। इसके जरिए कैदियों और बंदियों को हुनरमंद बनाने के साथ ही पैसे कमाने का अवसर मिलेगा।
बढ़ेंगे बंदी पीसीओ
मौजूदा समय में जेल में दो बंदी पीसीओ संचालित हो रहे हैं, अब इनकी संख्या बढ़ाकर चार की जा रही है। हफ्ते में दो दिन बंदी या कैदी दो लोगों से बात कर सकता है। प्रत्येक कॉल का समय पांच मिनट है। विशेष परिस्थितियों में हफ्ते में पांच बार बात कराई जाती है। इसके लिए सौ रुपये रजिस्ट्रेशन शुल्क जमा कराया जाता है। बंदियों की सहूलियत के लिए पीसीओ बढ़ाए जा रहे हैं।