Move to Jagran APP

रायबरेली से कौन लड़ेगा लोकसभा चुनाव? 2004 से अजेय रहीं सोनिया गांधी; आंकड़ों से समझे राजनीतिक दलों की स्थिति

जिले में बीते दो लोकसभा चुनावों में भले ही भाजपा का उम्मीदवार जीत न दर्ज कर पाया हो लेकिन उनका वोट प्रतिशत लगातार बढ़ा है। पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को मिले वोट प्रतिशत को देखते हुए इस बार बीजेपी उत्साहित है और कांग्रेस के किले को भेदने के लिए दम भर रही है। साल 2004 में कई दिग्गज नेताओं ने सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।

By Pulak Tripathi Edited By: Abhishek Pandey Published: Mon, 01 Apr 2024 04:00 PM (IST)Updated: Mon, 01 Apr 2024 04:00 PM (IST)
लोकसभा के बीते दो चुनाव में बढ़ा भाजपा का ग्राफ

पुलक त्रिपाठी, रायबरेली। जिले में बीते दो लोकसभा चुनावों में भले ही भाजपा का उम्मीदवार जीत न दर्ज कर पाया हो, लेकिन उनका वोट प्रतिशत लगातार बढ़ा है। पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को मिले वोट प्रतिशत को देखते हुए इस बार बीजेपी उत्साहित है और कांग्रेस के किले को भेदने के लिए दम भर रही है।

loksabha election banner

2004 में सोनिया गांधी के सामने सपा से अशोक कुमार सिंह, बसपा से राजेश यादव, बीजेपी से गिरीश नारायण पांडेय के अलावा दो अन्य उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में सोनिया गांधी 58.75 प्रतिशत वोट के साथ पहले, सपा दूसरे, बसपा तीसरे व भाजपा 4.86 प्रतिशत मत के साथ चौथे स्थान पर रही।

2006 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस 80.49 फीसद मत लेकर पहले, सपा दूसरे व भाजपा के प्रत्याशी विनय कटियार को बाहरी होने का खमियाजा भुगतना पड़ा और वह 3.33 मत प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर रहे। 2009 में हुए चुनाव में सोनिया गांधी 72.23 प्रतिशत मतों के साथ पहले स्थान, बसपा के आरएस कुशवाहा दूसरे, भाजपा के आरबी सिंह 3.82 प्रतिशत मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।

लगातार हो रहा मतों में इजाफा

2014 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी को 8.43 फीसदी मतों का नुकसान हुआ, लेकिन चुनाव में जीत हुई। इस चुनाव में भाजपा को 17.23 प्रतिशत मतों की संजीवनी मिली। इस चुनाव में भाजपा के अजय अग्रवाल दूसरे नंबर पर रहे। मतों में इजाफे का यह सिलसिला अगले लोकसभा चुनाव यानि साल 2019 में भी बरकरार रहा।

2019 के चुनाव में कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में आए दिनेश प्रताप सिंह ने सोनिया गांधी को टक्कर दी। भाजपा को इस चुनाव में 38.36 प्रतिशत से अधिक वोट मिले, हालांकि इस चुनाव में भी सोनिया गांधी को जीत मिली, लेकिन कांग्रेस को आठ प्रतिशत मतों की क्षति हुई।

भाजपा को मिले वोट प्रतिशत को देखते हुए पार्टी के आलाकमान ने पहले ही यह तय कर लिया था कि इस बार कांग्रेस की एक मात्र सीट रायबरेली को भी जीतना है और चार वर्ष पहले से ही अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। हालांकि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भी इस बार गंभीर रहा और समय-समय पर पार्टी के पदाधिकारी विभिन्न मुद्दों को लेकर जनता के बीच गए और अपनी सरकार की योजनाओं को गिनाते रहे।

इस बार दोनों पार्टियां दावेदारों को लेकर गहन मंथन कर करी हैं। कांग्रेस के पदाधिकारियों का दावा है कि चुनावी समर में गांधी परिवार से ही कोई लड़ेगा। भाजपा के नेता पार्टी हाई कमान का फैसला आने के बाद ही कुछ बताने की बात कह रहे हैं।

दिल्ली के लिए हर कोई लगा रहा जोर

लोकसभा चुनाव में टिकट के लिए हर कोई जोर लगा रहा है। सबसे अधिक दावेदार भाजपा में जोर आजमाइश कर रहे हैं। कांग्रेस में राहुल व प्रियंका के इर्द गिर्द सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। इस बार बहुजन समाज पार्टी भी चुनावी मैदान में अपना उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर चुकी है। पार्टी की जिला इकाई के मुताबिक चार लोगों ने टिकट के लिए आवेदन किया है। सभी दावेदार टिकट के लिए दिल्ली व लखनऊ की लगातार दौड़ लगा रहे हैं।

टिकट पर निगाहें

राष्ट्रीय पार्टियों ने अभी तक मैदान में उतरने वाले महारथियों के नाम की अधिकारिक घोषणा नहीं की हैं। इसको लेकर एक ओर दावेदारों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं तो दूसरी ओर मतदाता भी इंतजार में हैं। चुनावी गणितज्ञ भी मौन हैं। कांग्रेस व भाजपा के उम्मीदवारों के इंतजार में बीएसपी भी है। उम्मीदवारों की घोषणा को लेकर हर जगह चर्चाओं का बाजार गर्म है।

दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में दिख रहा जोश

प्रत्याशियों की घोषणा भले न हुई हो लेकिन पार्टी के नेता बूथ स्तर के पदाधिकारियों से लगातार संवाद कर जीत का मंत्र दे रहे हैं। पार्टी की नजर हर मतदाता पर है। पदाधिकारी शतप्रतिशत मतदान को लेकर दिन रात मेहनत में लगे हुए हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि पार्टी हाई कमान जिसको भी टिकट देगी हमें उसे इस बार जिताना है।

कांग्रेस पदाधिकारियों की दलील है कि पार्टी की ओर से स्थानीय स्तर पर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। हाइकमान जिसे भी प्रत्याशी बनाएगा, हर कार्यकर्ता उसके साथ रहेगा।

इसे भी पढ़ें: यूपी में कांग्रेस-सपा का खेल बिगाड़ेंगे रूठे दल, ओवैसी-चंद्रशेखर आजाद से लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य तक बढ़ाएंगे मुश्किलें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.