नॉन इंटरलॉकिंग से बचेगा समय और कम लगेगी मैन पावर
यात्री ट्रेन बचाएगी कम से कम छह मिनट और मालगाड़ी आठ मिनट,1
जागरण संवाददाता, कानपुर : पनकी में नॉन इंटरलॉकिंग का काम शुरू हो चुका है। बुधवार से कई ट्रेनें निरस्त हैं तो कई ट्रेनों का रूट बदल दिया गया है। इन सबके चलते यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन चंद दिनों की मुश्किलों के बाद इस रेल खंड में यात्रा बेहद सुगम हो जाएगी। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि सुरक्षा और मानवशक्ति की कमी से जूझ रही रेलवे को इस समस्या से भी निजात मिलेगी।
अभी भाऊपुर से पास होने के बाद ट्रेनों को पनकी वेस्ट आउटर केबिन, पनकी वेस्ट केबिन, स्टेशन यार्ड और पनकी ईस्ट केबिन से होकर गुजरना पड़ता था। नॉन स्टॉप ट्रेनों को इन केबिन से गुजरने के लिए केबिन मैन की हरी झंडी की आवश्यकता होती है। एक केबिन से दूसरे केबिन की वार्ता में लगभग दो मिनट लगता है। वीआइपी ट्रेनों को छोड़ दें तो लगभग हर ट्रेन इस रेल खंड में छह मिनट का समय लेती है। वहीं मालगाड़ी को साउथ यार्ड और नार्थ यार्ड केबिन से भी ग्रीन सिग्नल लेना होता है, जिससे उसे दो मिनट अधिक लगता है।
स्टेशन डॉयरेक्टर डॉक्टर जितेंद्र कुमार ने बताया कि समय की बचत के साथ ही अभी तक इन केबिनों में 18 रेलवे कर्मचारी काम करते हैं। इस काम के पूरा होने के बाद केवल स्टेशन मास्टर ही पूरे सिस्टम को चला सकेगा। प्रत्येक ट्रेन को पास देने में तीन से चार सेकेंड लगेगा
हर दिन दो से तीन घंटे का ब्लॉक
ट्रेनों के निरस्तीकरण और मार्ग परिवर्तन के अलावा हर दिन पनकी में ब्लॉक भी लिया जाएगा। यह ब्लॉक दो से तीन घंटे का होगा। ब्लॉक समय ट्रेनों के टाइम टेबिल को देखकर लिया गया है, लेकिन ट्रेनों के लेट होने की स्थिति में ब्लॉक के चलते उनके पिटने की संभावना रहेगी।
पूजा पाठ के साथ शुरू हुआ इंटरलॉकिंग का काम
मेन ट्रैक पर इंटरलॉकिंग का काम बुधवार को पूजा पाठ के साथ शुरू हुआ। कंट्रोल रूम में विधिवत हवन पूजन का आयोजन किया गया।