पिता को मुखाग्नि देने मुंबई से आया था बेटा, चिता देख वहीं तोड़ दिया दम
मृत्यु की सूचना पाकर सोमवार को मुंबई से आया था छोटा बेटा। चार संतानों में पिता का सबसे दुलारा था राजदेव, घर में मातम।
रायबरेली, जेएनएन। नियति का खेल देखिए। काल की निष्ठुरता भी और अंतिम सत्य 'मृत्यु' की अटलता। समय कैसा भी हो, स्थितियां कैसी हों... इसका कोई अर्थ नहीं। सांसों की गिनती तो पहले से ही तय होती है। कलेजे को कंपा देने वाली एक घटना सोमवार को गंगा किनारे गोकना घाट पर घटी। जहां पिता को मुखाग्नि देकर बेटा चिता के बगल में बैठा, फिर अचानक लेट गया। जब तक लोग कुछ समझते, उसकी सांसें थम चुकी थी...सब अवाक। जहां एक चिता जलती रही वहीं से दूसरा शव घर लाया गया।
क्षेत्र के गांव पूरन शाहपुर निवासी राम प्रसाद (80) पुत्र बाबूलाल की मौत रविवार की सुबह हो गई थी। उनके चार बेटों में श्यामलाल, देशराज और रामनरेश गांव में रहते हैं। दूसरे नंबर का बेटा राजदेव मुंबई में रहता था। पिता की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए वह सोमवार को ही गांव आया था। राजदेव अपने पिता का सबसे लाडला था। उसी ने गोकना गंगा घाट पर अपने पिता के अंतिम संस्कार के सभी कर्मकांड संपन्न कराए। फिर पिता की चिता को मुखाग्नि दी। जैसे ही चिता जलने लगी, राजदेव पास में चुपचाप बैठ गया। कुछ देर बाद वह चिता के पास ही लेट गया। आसपास खड़े लोगों ने दौड़कर उसे उठाया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
भारी मन से शव लेकर लौटे...
परिवारीजन और साथी-संगाती समझ ही नहीं पा रहे थे कि आखिर क्या किया जाए। पिता राम प्रसाद की चिता की आग ठंडी पड़ी। दुखी मन से घाट आए लोग भारी मन से राजदेव का शव लेकर वापस गांव के लिए चल दिए। मृतक के रिश्तेदार हटवा गांव के प्रधान राजू यादव ने बताया कि राजदेव का परिवार अभी मुंबई में है। उनके आने पर ही अंतिम संस्कार किया जाएगा।