शिक्षक के हलफनामे पर विभाग का 'मौनव्रत'
रायबरेली निलंबित शिक्षक के महज एक हलफनामे ने बेसिक शिक्षा अफसरों की नींद उड़ा दी ह
रायबरेली : निलंबित शिक्षक के महज एक हलफनामे ने बेसिक शिक्षा अफसरों की नींद उड़ा दी है। दो दिन से अधिकारी हाथ पैर मार रहे हैं, लेकिन इसका कोई तोड़ नहीं निकाल सके। यहां तक एक परिसर में संचालित दोनों विद्यालयों के शिक्षकों को बीएसए ने बुलाकर सामने बयान लिए, लेकिन यह तक नहीं पता लगा सके कि निर्माण प्रभारी किसे बनाया गया था। इससे साफ पता चल रहा है कि विभाग में भ्रष्टाचार किस कदर फैला हुआ है।
रोहनियां ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय मतरमपुर के अतिरिक्त कक्ष में धांधली का पर्दाफाश जागरण ने किया था। इसके बाद करीब दो महीने बाद पूर्व माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक को दोषी बताते हुए निलंबित कर दिया गया। इस पर शिक्षक ने निलंबन पर आपत्ति जताते हुए शपथ पत्र देकर खुद को निर्माण से अलग बताया। इसके बाद विभाग पर सवाल उठने लगे। अपनी खामी को छिपाने और संबंधित शिक्षक पर दबाव बनाने के लिए दोनों विद्यालयों को अध्यापकों को बीएसए ऑफिस बुलाया गया। पहले दिन प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा दस्तावेज प्रस्तुत किए गए, जो कि पर्याप्त नहीं होने के कारण दोबारा लाने के निर्देश दिए गए। सूत्रों की माने तो दूसरे दिन भी संबंधित शिक्षक के खिलाफ विभाग कोई खामी नहीं तलाश कर सका। ऐसे में निर्माण प्रभारी किसे बनाया गया यह अब तक स्पष्ट नहीं हो सका। न ही तत्कालीन बीईओ ने प्रकरण में कोई ठोस साक्ष्य नहीं उपलब्ध कराए। अब सवाल यही उठ रह है कि आखिर इतनी बड़ी चूक होने के बाद भी अफसर मौन क्यों हैं।
कागजों पर नहीं, हवाहवाई जारी निर्देश
तत्कालीन बीईओ की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। कोई भी कार्य बिना निर्माण प्रभारी बनाए कैसे हो सकता है। भुगतान किस आधार पर हुआ है। अफसरों के मौनव्रत से साफ पता चल रहा है कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है।