मुफलिसी से लड़ रहीं महिलाओं को जीतना सिखा दिया
दुकनहा गांव की नेहा ने स्वरोजगार की राह दिखाकर संवारी 30 परिवारों की जिदगी
राजेंद्र द्विवेदी, रायबरेली : ब्लॉक क्षेत्र के दुकनहा गांव में करीब 30 परिवारों की महिलाएं आज आत्मनिर्भर हैं। 100-50 रुपये की खातिर उन्हें दूसरों का मुंह नहीं ताकना पड़ता। एक वक्त ऐसा भी था, जब गरीब परिवार से जुड़ी ये महिलाएं मुफलिसी से जंग लड़ रहीं थीं। तकदीर के बदलने का श्रेय ये महिलाएं नेहा कुशवाहा को देती हैं, जिन्होंने समूह से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखाया।
विभिन्न समूहों से जुड़ीं दुकनहा की मनीषा, चंद्रावती, गीता, नीलम, अनारकली व प्रिया आदि महिलाओं ने बताया कि कुछ साल पहले गरीबी उनके परिवारों पर पूरी तरह हावी थी। बच्चों को अच्छी शिक्षा तो दूर दो वक्त की रोटी के भी लाले थे। घर के मुखिया के साथ वह भी पसीना बहाती थीं तो रूखा सूखा खाना मिल पाता था। इसी बीच एक दिन बरवलिया की रहने वाली नेहा कुशवाहा से मुलाकात हो गई। वह गांवों में संचालित समूहों की सेवादाता थीं। उन्होंने ही गांव में 10-10 महिलाओं को जोड़कर समूह बनाने की सलाह दी। इस पर सभी ने अमल किया। छोटी-छोटी रकम जोड़कर समूह के खाते में जमा करती गईं। इसके बाद बैंक से ऋण मिलने का रास्ता साफ हो गया। कोई विशेष हुनर तो था नहीं, ऋण लेकर महिलाएं करतीं भी क्या। इसलिए नेहा कुशवाहा ने ही उन्हें सिलाई का प्रशिक्षण दिलाया। इस काम में जब महिलाएं पूरी तरह निपुण हो गईं तो बैंक से ऋण लेकर सिलाई मशीनें खरीद लीं। फिर समस्या थी, काम कहां से आए। इसमें भी नेहा कुशवाहा ने पूरा सहयोग दिया। आसपास के गांव में लोगों को सिलाई करने वाली इन महिलाओं के बारे में बताया। उन्हें एक अवसर देने की गुजारिश भी की। इसके बाद समूह से जुड़ी महिलाओं की राह और भी आसान हो गई। एक बार जो काम मिला तो फिर जिदगी पटरी पर लौट आई। महिलाएं बताती हैं वह कम से कम 200 रुपये हर रोज कमा लेती हैं। उनके बच्चे अच्छी शिक्षा पा रहे हैं। उनके रहन सहन में भी परिवर्तन आ गया है। यह सब सेवादाता नेहा कुशवाहा की बदौलत हुआ।