सूर्यदेव अपने रौ में और कांग्रेसी अपने
रायबरेली गुरुवार को जितनी चटख धूप थी उतना ही बुलंद हौसला लेकर कांग्रेसी भी आ डटे। अस
रायबरेली : गुरुवार को जितनी चटख धूप थी, उतना ही बुलंद हौसला लेकर कांग्रेसी भी आ डटे। असहनीय गर्मी कोई मुरव्वत देने को तैयार नहीं थी, इधर कार्यकर्ता भी सड़क छोड़ने को राजी न हुए। फिर क्या था पांच घंटे तक शहर के करीब दो किलोमीटर तक के लोग पसीने से तरबतर होते रहे। हां, उनमें उत्साह जितना था, उतनी ही रवानी भी। सोनिया गांधी से अपनापन जितना था, उससे ज्यादा वर्तमान सरकार से गुस्सा। तभी तो कांग्रेस पार्टी के झंड़े भले ही कम थे, लेकिन उससे ज्यादा थे राफेल वाले वह झंड़े जिसमें चौकीदार चोर लिखा था।
सुबह से ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और जिले की सांसद सोनिया गांधी के नामांकन और रोड शो का हिस्सा बनने के लिए जिले भर से लोग शहर पहुंचे। सोनिया गांधी के साथ राहुल, प्रियंका व उनका परिवार भी था। सरेनी, लालगंज, महराजगंज, सलोन, परशदेपुर, अमावां, बछरावां, ऊंचाहार लगभग हर क्षेत्र से ग्रामीण आए थे। सुबह शहर की जिस सड़क पर नजर गई, उधर से महिला और पुरुषों की टोली आती देखी गई। जैसे-जैसे समय बीत रहा था, कदमों की चाल और बढ़ती जा रही थी। गर्मी जितना सिर चढ़कर बोल रही थी, जोश उतना ही बढ़ता जा रहा था। सोनिया गांधी को केंद्रीय कांग्रेस कार्यालय में पूजा करना था। इसके बाद कचहरी रोड से रोड शो करते हुए कलेक्ट्रेट जाना था। सोनिया जब केंद्रीय कांग्रेस कार्यालय पहुंचीं भी नहीं थी, उससे पहले ही लोग रोड शो के रास्ते पर हाथों में गुलाब की पंखुड़ियां और फूलों की माला लिए खड़े हो गए। चार से पांच घंटे तक गर्मी का सामना लोग करते रहे, लेकिन जब तक नामांकन हो नहीं गया, तब तक हटे नहीं।
गहरा रिश्ता दिखा भीड़ में
गुरुवार को जो भीड़ उमड़ी उसमें गहरा रिश्ता भी नजर आया। गांव की महिलाएं नगाड़ों और ढोलक की थाप पर झूमकर थिरकीं और पेड़ों और दीवारों पर चढ़कर युवकों ने भी ढपली बजाई। वैसे भी 1952 से लेकर 2014 तक हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस यहां तीन चुनाव छोड़कर बाकी के सभी जीती है। लगातार चार बार से यहां सोनिया गांधी का ही कब्जा है। नेहरू परिवार और रायबरेली के बीच करीब 98 साल पुराना रिश्ता है।