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घायल को नहीं मिला इलाज, जिला अस्पताल में बवाल

जासं, रायबरेली : लालगंज कोतवाली क्षेत्र में निहस्था गांव के निकट शनिवार दोपहर ट्रैक्टर ने स

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 07:31 PM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 07:31 PM (IST)
घायल को नहीं मिला इलाज, जिला अस्पताल में बवाल
घायल को नहीं मिला इलाज, जिला अस्पताल में बवाल

जासं, रायबरेली : लालगंज कोतवाली क्षेत्र में निहस्था गांव के निकट शनिवार दोपहर ट्रैक्टर ने सवारियों से भरे टेंपो में टक्कर मार दी। हादसे में घायल एक व्यक्ति को पहले लालगंज फिर जिला चिकित्सालय लाया गया। आरोप है कि यहां समय से इलाज न मिलने पर उसकी मौत हो गई। लापरवाही पर बिफरे तीमारदारों ने चिकित्सीय स्टाफ से धक्का-मुक्की की। खूब हंगामा हुआ। बाद में पुलिस ने माहौल शांत कराया। इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक के खिलाफ कोतवाली में तहरीर दी गई है।

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लालगंज के बरहा गांव निवासी अखिलेश ¨सह (40) पुत्र स्व. वीरपाल ¨सह गुरुवार को टेंपो से लालगंज आ रहे थे। रायबरेली-कानपुरमार्ग पर निहस्था गांव के पास सामने से आ रहे ट्रैक्टर ने टेंपो में टक्कर मार दी। हादसे में अखिलेश व उन्हीं के गांव की वंदना ¨सह, कंचन ¨सह पुत्री श्याम सुंदर, अंकिता पुत्री गोवर्धन, फूलमती पत्नी गोवर्धन घायल हो गई। सभी को सीएचसी लालगंज लाया गया। यहां हालत गंभीर होने पर अखिलेश, वंदना और कंचन को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। यहां अखिलेश को इमरजेंसी में प्राथमिक उपचार के बाद वार्ड में भेज दिया गया। हड्डी रोग विशेषज्ञ और सर्जन को अर्जेट कॉल की गई।

वार्ड में तत्काल उपचार न शुरू होने पर तीमारदार अखिलेश को लेकर प्राइवेट अस्पताल के लिए निकले लेकिन जिला अस्पताल के गेट पर ही उनकी मौत हो गई। इस पर लोग आक्रोशित हो गए और शव लेकर इमरजेंसी पहुंच गए। यहां तैनात डा अतुल पांडेय ने जब अखिलेश को मृत घोषित किया तो घरवालों, दोस्तों का गुस्सा चरम पर पहुंच गया। फिर अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ। स्टाफ के साथ धक्कामुक्की भी गई। बवाल की सूचना पर एसआइ हरिशरण ¨सह इमरजेंसी पहुंचे। उन्होंने अखिलेश के परिवारीजनों को शांत कराया। मृतक के भाई राम इकबाल ¨सह ने इमरजेंसी चिकित्सक के खिलाफ इलाज में लापरवाही बरतने की तहरीर कोतवाली में दी है। इलाज मिलता तो बच जाती जान

अखिलेश के भाई राम इकबाल ने बताया कि अगर अस्पताल में समय से इलाज मिल जाता तो उनके भाई की जान बच जाती। वार्ड में किसी डॉक्टर और कर्मचारी ने उनके भाई को हाथ तक नहीं लगाया, इलाज की बात तो जाने दीजिए। वहीं, इमरजेंसी चिकित्सक डा अतुल पांडेय ने बताया कि वार्ड में चिकित्सक के लिए अर्जेट कॉल की गई थी। दुर्घटना का केस था, जिसमें आर्थो और सर्जन ही इलाज करते। मैंने अपनी ड्यूटी सही से की। बिखर गया परिवार

अखिलेश गांव में ही किराना की दुकान चलाते थे। परिवार में पत्नी प्रतिभा और दो बच्चे शुभम व शिखा हैं। शुभम प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए इलाहाबाद में रहता है। मुखिया की असमय मौत से हंसते-खेलते परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। अखिलेश को महज पांच से दस मिनट ही वार्ड में रखा गया। फिर घरवाले उन्हें लेकर प्राइवेट अस्पताल चले गए। जब वे दोबारा लौटकर अस्पताल आए, तब तक अखिलेश की मृत्यु हो चुकी थी। उनके इलाज के लिए दोनों डाक्टरों को इमरजेंसी कॉल की गई थी। चिकित्सकों के आने से पहले ही ये सब हो गया।

-डा बीरबल, प्रभारी सीएमएस, जिला अस्पताल


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