सूचना का अधिकार क्रांतिकारी अधिनियम: बिष्ट
रायबरेली : आजादी के बाद अधिनियम तो कई बने। सबका अपना-अपना महत्व भी है लेकिन, इनमें से सूचन
रायबरेली : आजादी के बाद अधिनियम तो कई बने। सबका अपना-अपना महत्व भी है लेकिन, इनमें से सूचना का अधिकार अधिनियम ही एक क्रांतिकारी एक्ट है। इस एक्ट ने हासिए पर खड़े वर्ग या एक आम आदमी को भी इतना ताकतवर बना दिया कि वह किसी से भी सवाल कर सकता है। इससे पारदर्शिता ही नहीं आई, बल्कि भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगाने में आसानी हुई। गुरुवार को रायबरेली आए राज्य सूचना आयुक्त अरविंद ¨सह बिष्ट ने ये बातें कहीं।
राज्य सूचना आयुक्त बचत भवन में मीडिया से रूबरू थे। उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारियों व जन सूचना अधिकारियों को समय पर मांगी गई सूचनाएं देने के कड़े निर्देश दिए गए हैं। सूचनाएं देने में लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई भी की जा रही है। उन्होंने कहा कि पहले की अपेक्षा लंबित मामलों के निपटारे में अब तेजी आई है। वर्ष 2014 में 55 हजार आवेदन लंबित थे। इसके बाद वर्ष 2015 में इनकी संख्या 45 हजार हुई। वर्तमान समय में सूबे में 37 हजार सूचना के आवेदन बचे हैं। सूचना आयुक्त ने कहा कि हर साल करीब सात हजार आवेदन आते हैं। शत प्रतिशत आवेदनों का समय पर निस्तारण कराने का लक्ष्य रखा गया है।
सिर्फ सूचनाएं देने का है अधिकार
राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि इस अधिकार ने आमजन के हाथों को मजबूत और उन्हें ताकतवर बना दिया है। यह एक ऐसा एक्ट है जिसमें 10 रुपये खर्च कर कोई भी किसी भी पद पर बैठे अधिकारी से सवाल कर सकता है। लोगों की इससे अपेक्षा बहुत है। लोग जवाब मिलने के बाद समस्या का निस्तारण भी चाहते हैं। मगर यह संभव नहीं। एक्ट सिर्फ सूचनाएं उपलब्ध कराने का है।