हक के लिए बुलंद की आवाज, दिल्ली जा रहे किसानों को रिहा करने की मांग
नए कृषि कानूनों व बिजली बिल 2020 को लेकर जताया विरोध
रायबरेली : अखिल भारतीय किसान महासभा की अगुवाई में शुक्रवार को बड़ी संख्या में किसानों ने कलेक्ट्रेट में हक के लिए आवाज बुलंद की। दिल्ली जा रहे किसानों को रिहा करने व फसलों का उचित मूल्य दिलाने समेत अन्य मांगें उठाई। मांगें पूरी न होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी।
सुबह से ही विकास भवन में किसानों की भीड़ जमा होने लगी थी। इसके बाद यहां से सब जुलूस के रूप में निकले। शहीद चौक, डिग्री कॉलेज चौराहा, सिविल लाइंस रोड से पुलिस अधीक्षक कार्यालय होते हुए सभी कलेक्ट्रेट पहुंचे। डीएम दफ्तर पहुंची इस भीड़ को देख अफसर और कर्मचारी भी दंग रह गए। यहां किसानों ने जमकर नारेबाजी की। इसके बाद राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट युगराज सिंह को सौंपा। इसमें दिल्ली जा रहे किसानों को रिहा करने की मांग की गई है। सरकार द्वारा बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों व बिजली बिल 2020 को रद करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर फसल खरीदने वालों के खिलाफ कार्रवाई का कानून बनाने, बेसहारा पशुओं से हुए नुकसान का मुआवजा दिलाने और नहरों की सफाई कराने समेत अन्य मांगें भी शामिल हैं। महासभा के प्रदेश महासचिव अफरोज आलम, जिला सचिव सुरेश शर्मा, जिलाध्यक्ष फूलचंद्र मौर्य, रविशंकर, महारथी, रामनरेश आदि मौजूद रहे।
निगमीकरण हुआ तो सड़क पर उतरेंगे रायबरेली : ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन समेत अन्य संगठनों की शुक्रवार को आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना के गेट नंबर दो पर मीटिग हुई। संगठन सचिव रोहित मिश्र ने रेल उत्पादन इकाइयों के निगमीकरण अथवा निजीकरण के नुकसान गिनाए। कहा कि अब तक जिन कारखानों का निगमीकरण किया गया वह या तो बंद हो चुके हैं या बंदी की कगार पर हैं। रेलवे देश का सबसे बड़ा रोजगार देने वाला व सबसे सस्ता यातायात देने वाला विभाग है। निगमीकरण से टिकटों के दाम में बेहताशा वृद्धि होगी। यदि रेलवे का निगमीकरण हुआ तो कर्मचारी सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे। रोहित रंजन, हरिकेश, ऋषिकेश मीना आदि मौजूद रहे।