रेल डिब्बे बनते धड़ाधड़, खटकती हाथों की कमी
लालगंज (रायबरेली) आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना लालगंज में डिब्बे बनाने का लक्ष्य दोगुना से ज्यादा
लालगंज (रायबरेली) : आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना लालगंज में डिब्बे बनाने का लक्ष्य दोगुना से ज्यादा कर दिया गया है। पर, कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ाई गई। कारखाना ठेकेदारी प्रथा के भरोसे लक्ष्य हासिल करने का प्रयास कर रहा है। वहीं, रिक्त पदों को भरने के लिए रेलवे बोर्ड को पत्र लिखे जाते रहे, लेकिन नतीजा सिफर रहा।
आधुनिक रेलडिब्बा कारखाना में एक हजार डिब्बों के उत्पादन के लिए 5082 कर्मचारियों की आवश्यकता है। वर्ष 2014 के पहले 2763 पद सृजित किए गए और इनके सापेक्ष 1148 कर्मचारियों को नियुक्ति दी गई। उम्मीद थी कि और पद सृजित होंगे। जो पहले से खाली हैं, वो पद भी भरे जाएंगे, पर अब तक उम्मीदों को झटका ही लगा है।
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साल-दर-साल बढ़ी उत्पादन क्षमता
वित्तीय वर्ष 2011-12 में जहां महज 18 डिब्बे ही बने थे। वहीं, 2012-13 में 70 कोच, 2013-14 में 130 कोच तथा 2014-15 में 140 डिब्बे बन सके। तब तक यहां लगभग सभी सामान बाहर से आता था। आटोमेटिक रोबोटिक मशीनें लगाई गई तो उत्पादन तेजी बढ़ा। 2015-16 में दोगुना से ज्यादा यानी 285 डिब्बे बनाए गए। 2016-17 में 576, 2017-18 में 711 और पिछले वित्तीय वर्ष 2018-19 में 1425 डिब्बे बनाकर रिकार्ड कायम किया गया। इतना ही नहीं, वर्तमान वित्तीय वर्ष में 2158 डिब्बों के उत्पादन का लक्ष्य दिया गया है।
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आउटसोर्सिग से पूरी कर रहे कर्मियों की कमी :
वर्तमान में कुल 2198 पद हैं। लगातार मांग के बाद दो अप्रैल 2019 को महज 357 पद ही सृजित किए गए हैं, जिनमें अब तक किसी की नियुक्ति नही हो सकी है। कर्मचारियों की इस कमी को आउटसोर्सिग से पूरा किया जा रहा है। यहां अभी लगभग पांच हजार प्राइवेट कर्मचारी काम कर रहे हैं।
कोट
संस्थान में अभी 25 सौ के लगभग नियमित कर्मचारी हैं। अब तो आउटसोर्सिंग और पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर काम होते हैं। आधुनिक और रोबोटिक मशीनें आ गईं हैं। इसलिए हम समय से लक्ष्य हासिल कर रहे हैं।
-अमित सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी आरेडिका