जैसे पटाखा फूटा हो, और बेपटरी हो गई ट्रेन
रायबरेली : पापा सो रहे थे। मेरी मां दादी को वॉशरूम लेकर गई थी। तभी ट्रेन डगमगाई। ऐसी अ
रायबरेली : पापा सो रहे थे। मेरी मां दादी को वॉशरूम लेकर गई थी। तभी ट्रेन डगमगाई। ऐसी आवाज आई मानो पटाखे फूट रहे हों। फिर ट्रेन की बोगियां डिरेल हो गई। डिब्बे में बैठे लोग एक-दूसरे के ऊपर जा गिरे। सीट बीच में आ गई और मां-दादी कुछ देर के लिए आंखों से दूर हो गई। सभी बाहर निकलना चाहते थे। कोई खिड़की से कूदा तो कोई गेट चढ़कर निकला। तभी किसी ने सीट हटा दी। मां-दादी फिर सामने आ गए। हमने हिम्मत बांधी। पापा बेहोश हो गए थे और दादी के सिर में ज्यादा चोट लग गई थी। हम सबने मिलकर दोनों को बाहर निकाला, फिर उन्हें अस्पताल लाया गया।
न्यू फरक्का एक्सप्रेस की जनरल बोगी में बैठी नौ साल की अनुष्का ने ये बातें साझा कीं। हादसे के वक्त वह खिड़की के पास बैठी थी। अनुष्का के पापा अनिमेष ने बताया कि वह मूलरूप से बिहार प्रांत के महद्दीपुर, मुंगेर के रहने वाले हैं। अभी राजौरी गार्डेन, नई दिल्ली में रहते हैं। 24 सितंबर को उनके पिता रवींद्र ¨सह का देहांत हो गया। उन्हीं का अंतिम संस्कार और तेरहवीं संस्कार करने के लिए वे सपरिवार बिहार आए थे। मंगलवार रात मुंगेर से वे, उनकी पत्नी संजू, मां सुमित्रा, बड़े भाई दीपक, भाभी सुनीता, छोटा भाई गौतम व भतीजे अभिज्ञान और आर्यन ट्रेन से दिल्ली जा रहे थे। हादसे में बेटी अनुष्का को छोड़कर सभी को चोटें आई हैं। अनिमेष की मां सुमित्रा की हालत ज्यादा गंभीर है। संजू ने बताया कि हादसे के बाद बेटी डरी नहीं। उसने लोगों से मदद मांगी। उसकी आवाज सुनकर पहुंचे ग्रामीणों ने ही उन्हें ट्रेन से निकाला। इस वजह से सभी सुरक्षित हैं।