जल्द खत्म नहीं होता ड्राइ¨वग लाइसेंस का इंतजार
रायबरेली : शहर के इंदिरा नगर के रहने वाले बुजुर्ग एके मिश्र ने अपने ड्राइ¨वग लाइसेंस के न
रायबरेली : शहर के इंदिरा नगर के रहने वाले बुजुर्ग एके मिश्र ने अपने ड्राइ¨वग लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए करीब आवेदन किया था। लाइसेंस घर तक पहुंच जाए, इसलिए नियमानुसार औपचारिकताएं पूरी की। इसके बाद इंतजार करते एक महीने से अधिक समय बीत गया, लेकिन लाइसेंस घर नहीं पहुंचा। इस बीच कई चक्कर भी लगाए। तब कहीं जाकर दफ्तर से ही लाइसेंस मिला।
परिवहन विभाग की ओर से शुरू की गई एक अच्छी व्यवस्था को यहां अमल में लाए जाने से ऐसे ही तमाम आवेदक रोज दफ्तर के चक्कर लगाते दिख जाते हैं। परिवहन निगम ने कुछ साल पहले ड्राइ¨वग लाइसेंस डाक के माध्यम से घर भेजने की सुविधा शुरू की थी। उद्देश्य यह था कि लोगों को सिर्फ आवेदन के लिए ही दफ्तर आना पड़े। लाइसेंस लेने के लिए दौड़ भाग से उन्हें छुटकारा मिल जाए। विभाग की ओर से लाइसेंस डाक के माध्यम से घर तक भेजने के लिए आवेदकों से 25 रुपये अतिरिक्त खर्च भी कराया जा रहा है। ये खर्च लाइसेंस की रजिस्ट्री के लिए लिफाफा और उस पर डाक विभाग का टिकट खरीदने पर होता है। हर आवेदक से यह औपचारिकताएं तो पूरी कराई जाती हैं। बिना इस औपचारिकता को निभाए आवेदन ही नहीं लिए जाते। यह बात अलग है कि इस सुविधा का लाभ आवेदकों को नहीं मिल पा रहा है।
सुविधा शुल्क रुपये दो और लाइसेंस लो
विभागीय सूत्रों का कहना है कि एआरटीओ दफ्तर में स्थायी और अस्थायी ड्राइ¨वग लाइसेंस को डाक के माध्यम से भेजने का काम एक बाहरी व्यक्ति देख रहा है। व्यवस्था के बेपटरी होने के लिए अफसरों और कर्मचारियों का यह खासमखास व्यक्ति ही पूरी तरह से जिम्मेदार है। कहा जाता है कि लाइसेंस जल्दी देने के लिए यह प्राइवेट कर्मी सुविधा शुल्क वसूलता है। सुविधा शुल्क मिला तो ठीक, वरना लोगों को महीनों तक दौड़ाया जाता है।
इनकी भी सुनें
इस संबंध में एआरटीओ प्रशासन पुष्पांजलि गौतम से बात करने के लिए उनके मोबाइल पर फोन किया गया, लेकिन वह स्विच ऑफ था। वहीं जब एआरटीओ प्रवर्तन संजय तिवारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस बारे में एआरटीओ प्रशासन की कुछ बता सकती हैं। मैं, इस बारे में कुछ नहीं कह सकता।