प्रधानमंत्री ने शहीदों को किया नमन तो फक्र से सीना हुआ चौड़ा
दिलीप ¨सह, रायबरेली : कलम और तलवार बैसवारे की धरती की पहचान रहे हैं। यहां पर जब भी क
दिलीप ¨सह, रायबरेली : कलम और तलवार बैसवारे की धरती की पहचान रहे हैं। यहां पर जब भी कोई आता है, तो साहित्य जगत में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी और वीरता में राना बेनी माधव ¨सह का जिक्र जरूर करता है। रविवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसभा में विजय दिवस पर शहीदों को नमन किया तो फक्र से जनपद वासियों का सीना चौड़ा हो गया। आखिर हो भी क्यों न। जिले की इस धरती से सबसे अधिक जवानों ने शहादत दी थी। वह चाहे भारत पाक, चीन या कारगिल युद्ध ही क्यों न हो। आज भी इस मिट्टी से सबसे अधिक युवा सेना में है। देश की सीमा पर सजग प्रहरी बनकर सीना ताने खड़े हैं।
बात करते हैं 1971 भारत-पाक युद्ध की। हमेशा की तरह इस युद्ध में रायबरेली की मिट्टी से जन्मे नौ वीर सपूतों ने देश की खातिर शहादत दी थी। आज वे भले ही हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनकी वीरगाथाओं से जिले के लोगों का हमेशा सीना फक्र से चौड़ा रहा। प्रधानमंत्री ने रविवार को विजय दिवस पर शहीदों को नमन किया, तो एक बार फिर गर्व से सिर ऊंचा हो गया।
इनसेट
इन्होंने दी थी शहादत
भारत-पाक की जंग में बैसवारे से रामकुमार ¨सह निवासी दरिगापुर डलमऊ, औसान निवासी पूरे सुर्जी खीरों, भगौती ¨सह निवासी मदाखेड़ा, रवि नारायण ¨सह निवासी भोजपुर, शिवप्रसाद ¨सह निवासी बिन्नावां, बलवान ¨सह निवासी पाहो, देवी बख्श ¨सह निवासी लोदीपुर उतरावां के साथ महावीर यादव निवासी सर्वोदय नगर, जमील अहमद निवासी ¨सहपुर शहीद हुए थे।