क्षत्रप कोई बचा नहीं, किलेबंदी भी तोड़ने की कसरत
रायबरेली : र से रायबरेली में, र से राजनीति और र से रसूख का खासा रिश्ता रहा। अब तेजी से
रायबरेली : र से रायबरेली में, र से राजनीति और र से रसूख का खासा रिश्ता रहा। अब तेजी से दौर बदल रहा है। पुराने क्षत्रपों ने सुलह-सपाटे की राह पकड़ ली है। नई कवायद देख मंझे खिलाड़ी किलेबंदी तोड़ने की कसरत में जुट गए हैं। नए साल के कई घटनाक्रम इसका प्रमाण हैं, कि राजनीतिक पटल पर खास दर्जा रखने वाली रायबरेली की आबोहवा बदल रही है।
बात करते हैं जनवरी के शुरुआत की। यहां के कांग्रेस खेमे के पूर्व माननीय अचानक भाजपा के वर्तमान माननीय के घर पहुंच गए। वहां राजनीतिक मिजाज पर चर्चा हुई। चूंकि ऐलानिया इस मिलन की पटकथा दो दिन पहले मीडिया से साझा की जा चुकी थी। फिर फीरोज गांधी कालोनी के उस भवन की लान से एक फोटो जारी की गई। उसमें दिखाया गया कि राजनीति के दो धुरंधर कैसे साथ बैठे हैं। इस फोटो और मिलन की चर्चा खूब हुई। तभी 19 जनवरी को शिवगढ़ से एक और तस्वीर ने राजनीतिक माहौल सुर्ख कर दिया। वहां विहिप ने समरसता भोज का आयोजन किया था। जिसमें एमएलसी चुनाव में टकराने वाले दो शख्सियतों ने मंच साझा किया। उन्होंने साथ बैठकर खिचड़ी खायी। इस तस्वीर ने फिर चर्चा को जन्म दिया। यानि क्षत्रप चहारदीवारी छोड़ दूसरों के आंगन और बंगलों में बैठकर नई किलेबंदी करने लगे हैं। इसकी भनक एक पूर्व मंत्री को लग गई। खिचड़ी के ही बहाने उन्होंने शहर के भीतर बड़ा जलसा कर डाला। इसमें कुछ ऐसे लोगों के साथ मंच साझा किया जो सत्ता-विपक्ष व महत्वपूर्ण दलों से रहे। जो संदेश निकला, उसकी खनक ने जाहिर कर दिया कि क्षत्रप तो कोई बचा नहीं और नई किलेबंदी अब राजनीति के खिलाड़ी होने नहीं देंगे।