फूंक-फूंक कर कदम रख रही पुलिस
रायबरेली : एक तरफ मंदिर के महंत थे, जिनकी हत्या हुई। तो दूसरी तरफ कानून से खेलने और
रायबरेली : एक तरफ मंदिर के महंत थे, जिनकी हत्या हुई। तो दूसरी तरफ कानून से खेलने और खादी तक पहुंच रखने वाले रसूखदार। हालात पेचीदा थे। बाबा की मौत हत्या है या आत्महत्या। गुत्थी सुलझाने को पुलिस सधे कदमों से चल रही है।
ऊंचाहार के बाबा का पुरवा में दो जनवरी को जिस तरह महंत का शव लटका मिला था। वहां की जो स्थितियां थीं और लोग जो बोल रहे थे। उससे दर्ज कराई गई एफआइआर में कोई फर्क नहीं दिखता। मगर, पुलिस को मौके से मिले साक्ष्य और पीएम रिपोर्ट ने कहानी को और जटिल बना दिया। मगर चार दिन की गहन पड़ताल के बाद एसपी सुनील कुमार ¨सह ने जो तथ्य मीडिया के सामने रखे, उससे स्थितियां स्पष्ट हो रही हैं। बाबा की मौत के जिम्मेदार लोग ही नहीं, बल्कि बाबा के पीछे कौन-कौन कहां-कहां पड़ा था उसकी भी एक लंबी लिस्ट तैयार हो रही है।
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पकड़े गए संजीव का मामा है हत्यारोपित राम स्वरूपदास
पुलिस के मुताबिक बाबा के खिलाफ साजिश रचने में संजीव के रिश्तेदारों में सिर्फ उसकी पत्नी रीता ही नहीं शामिल हैं। बल्कि संजीव का मामा राम स्वरूपदास भी संलिप्त हैं। जिसके खिलाफ हत्या की धाराओं में मौनी महराज ने केस दर्ज कराया है। इनसेट
अपने साजिश में घर वालों को भी लपेटा
संजीव कुमार मौर्य और अमृतलाल को नमक का हक अदा करने का ऐसा नशा था कि इन्होंने अपने परिवार वालों को भी साजिश में लपेट लिया। पुलिस के मुताबिक इन दोनों के कहने पर ही इनकी पत्नी ने बाबा के खिलाफ दुराचार के झूठे मुकदमें दर्ज कराए थे। जिनकी सच्चाई पुलिस की जांच में सामने आ गई। ---
संचालक तो सिर्फ प्यादा, मास्टर माइंड पंचशील की प्रबंधक - मंदिर की हड़पी गई 11 बीघे भूमि की खातिर पति के साथ मिलकर रचा पूरा खेल
- नौकरों के घर वालों के कंधे पर बंदूक रखकर महंत पर लगाया जा रहा था निशाना
जागरण संवाददाता, रायबरेली : पूरा विवाद उस 11 बीघे जमीन का था, जिसे ऊंचाहार क्षेत्र के चर्चित पंचशील महाविद्यालय के संचालक ने हड़पी थी। बाबा कानूनन इस लड़ाई को लड़ रहे थे। इसमें उन्हें कमजोर करने की खातिर झूठे मुकदमों का जाल बिछाया गया। अब तक लोग यही जान रहे थे कि यह पूरा खेल कॉलेज संचालक का है। मगर, वह तो सिर्फ प्यादा निकला। बाबा का शिकार करने के लिए गोटें असल में कॉलेज प्रबंधक ने बिछाई थीं।
महंत प्रेमदास और कॉलेज संचालक बीएन मौर्य के बीच साल 2013 से जमीन की जंग चल रही थी। अपनी पहुंच के चलते संचालक जिले के अफसरों को थामने में सफल रहा। बाबा जहां-जहां गया, वहां-वहां से उसे खाली हाथ लौटना पड़ा। मगर, न्यायालय की चौखट में कदम रखने के बाद उसकी उम्मीदें बंधी। एक तरफ महंत जीत की तरफ बढ़ रहा था तो दूसरी तरफ संचालक को करोड़ों की जमीन हाथों से खिसकती दिख रही थी। महंत के हौसले को तोड़ने की खातिर उस पर दुष्कर्म समेत अन्य कई गंभीर धाराओं में आधा दर्जन केस दर्ज कराए गए थे। ताकि महंत इन्हीं मुकदमों में उलझ जाए। इस पूरे खेल को रचने वाले में सामने तो बीएन मौर्य का चेहरा था। मगर, असल में इस पूरे ब्यूह की रचना उसकी पत्नी और कॉलेज की प्रबंधक सत्यभामा ने की थी। उसी के इशारे पर चाल चली जाती थी। निगाहें सत्यभामा की होती थी तो निशाना उसका पति बीएन मौर्य लगाता था।