अजब खेल! Boundary wall के अंदर दबंगों ने बना लिया कमरा, दौड़ता रह गया मकान-मालिक Raibareilly News
रायबरेली में दबंगों ने एक प्लाट में जबरन कब्जा करके मकान बना लिया। वहीं पीडि़त मकान-मालिक की पुलिस ने नहीं की मदद।
रायबरेली, जेएनएन। इसे ही कहते हैं खुला खेल फर्रुखाबादी। पुलिस ऐसे खेलों में महिर होती है। देखिए न एक नमूना। एक व्यक्ति ने कर्ज लेकर जमीन खरीदी। उसकी बाउंड्रीवाल बनवाकर गेट लगवा लिया। कुछ दिन बाद गेट तोड़कर दबंग उसी परिसर में कमरा बनवाने लगे। यह देख भूखंड स्वामी अफसरों समेत पुलिस अधिकारियों के दरवाजे-दरवाजे दौडऩे लगा। सबने कागजों में शांति-व्यवस्था, यथास्थित बनाए रखने की बातें लिखीं। लेकिन चकराइए नहीं आप विश्वास मानिए...उसी चहारदीवारी भीतर एक कमरा बन गया। यही कारगुजारी सरकार की सारी मंशा पर धो देती है। क्योंकि इन सबके पीछे भ्रष्टाचार का बहुत बड़ा खेल होता है।
बात शहर से सिर्फ 40 किमी दूर लालगंज की है। मूलरूप से लोदीपुर उतरावां निवासी मंजू ङ्क्षसह पत्नी मनोज ङ्क्षसह ने लालगंज के गांधी चौराहा निवासी मिथलेश सिंह से छह नवंबर 2015 को कस्बे के बरदहाई मुहल्ले में दो बिस्वा जमीन का बैनामा कराया। उस भूखंड पर बाउंड्रीवाल बनाकर गेट लगवा दिया। फिर अपने कामकाज में व्यस्त हो गया। एक जून को मनोज को सूचना मिली कि उसकी जमीन पर कोई दूसरा अवैध निर्माण कर रहा है। उसने पुलिस को सूचना दी।
मगर 25 दिन के भीतर उसमें विपक्षी ने कमरा बना डाला। पीडि़त मनोज को लगातार दौड़ाया जाता रहा लेकिन उसकी कहीं सुनी नहीं गई। अब जब कमरा बन गया, स्लेप पड़ गई उसके बाद दोनों पक्षों को समाधान दिवस में बुलाया गया है। उधर, लालगंज कोतवाल विनोद कुमार ङ्क्षसह को इस बात की जानकारी ही नहीं हो पायी कि उक्त भूखंड पर रोकने के बावजूद कमरा बन गया है।
कोतवाल बोले
लालगंज के कोतवाल विनोद कुमार सिंह के मुताबिक भूखंड पर कब्जे का विवाद था। दोनों पक्षों को जमीन के कागजात लेकर समाधान दिवस में बुलाया गया है। वहां कमरा भी बन गया है, इसकी जानकारी नहीं है। दूसरे पक्ष का कहना है कि उसने पहले बैनामा कराया है। अब ये राजस्व का मामला है, अधिकारी जो आदेश करेंगे, उसी आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
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