कोहरे में पार्किंग लाइट बहुत जरूरी
रायबरेली : कोहरे में भी ध्वनि से ज्यादा तीव्रता प्रकाश की होती है। ऐसे में सड़क पर वाहन च
रायबरेली : कोहरे में भी ध्वनि से ज्यादा तीव्रता प्रकाश की होती है। ऐसे में सड़क पर वाहन चलाते समय पार्किंग लाइट जला लेनी चाहिए। इससे वाहन का आकार भी स्पष्ट हो जाता है। जिससे सामने या पीछे से आ रहे वाहन लाइट देखकर अपनी लेन में रहते हैं और गति को नियंत्रित कर लेते हैं। सड़क पर कैट आई (सड़क पर छोटे-छोटे रेडियम लाइट की तरह चमकने वाले संकेतक) की उपयोगिता भी ठंड के दिनों में बढ़ जाती है। इससे हाईवे पर अपनी लेन में चलने में आसानी रहती है। लाइट पड़ने पर इनकी चमक बढ़ जाती है।
लोडर वाहनों में नियत से ज्यादा लो¨डग कभी-कभी बड़े हादसे का सबब बन जाती है। खासकर ट्रैक्टर-ट्रालियों में भूसा, अनाज के बोरे, सरिया लदी होने के वक्त दुर्घटनाएं होने पर बड़ा जोखिम उठाना पड़ता है। सरिया लादने के लिए कोई विशेष कानून नहीं है लेकिन मौखिक तौर पर एक मीटर से ज्यादा सरिया ट्रॉली से बाहर नहीं होनी चाहिए। लेकिन इसका अनुपालन नहीं किया जाता। ट्रकों में भी ऐसे ही सरिया लादकर ढुलाई की जा रही है।
कट पर रिफ्लेक्टर जरूरी
सबसे ज्यादा हादसे हाईवे पर होते हैं। यहां से पांच हाईवे गुजरे हैं। लखनऊ-इलाहाबाद हाईवे पर जगह-जगह कट तो बना दिए गए लेकिन वहां संकेतक या रिफ्लेक्टर नहीं लगाए गए हैं। शहर में सारस होटल, आइटीआइ मोड़, एफजीआइईटी सहित कई स्थानों पर ऐसे कट हैं। इन स्थानों पर दुर्घटनाएं भी बहुतायत होती है। इन स्थानों पर संकेतक बहुत आवश्यक है।
हादसों पर जागते जिम्मेदार
हाईवे पर जगह-जगह रिफ्लेक्टर लगाए गए हैं। लेकिन एक वर्ष के भीतर इनके रिनीवल को लेकर विभाग गंभीर नहीं है। जब कभी बड़ा हादसा हो जाता है, तभी वहां पर नए बोर्ड लगाए जाते हैं, या फिर डिवाइडर को रेडियम से पुताई करा दी जाती है।
ये हैं दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र
लखनऊ-इलाहाबाद हाईवे पर हरचंदपुर में प्यारेपुर, छतैया, डेडौली पुल, गंगागंज कस्बा दुर्घटना बाहुल्य हैं। बछरावां में ओवरब्रिज, चुरुवा बार्डर, कुंदनगंज सीमेंट फैक्ट्री के निकट, कानपुर मार्ग पर दरीबा, अटौरा मोड़, पूरे बदई पर अंधा मोड़ है। मुंशीगंज कस्बा, जिगना, जगतपुर कस्बा, नवाबगंज और ऊंचाहार कस्बे में हाईवे मोड़ के निकट हादसे होते रहते हैं। सतांव में कोंसा सई पुल, नकदिलपुर, बढ़ईन का पुरवा, ओनई में मोड़ खतरनाक हैं। परशदेपुर में पूरे भूसू के पास सकरी पुलिया है। जगतपुर में ईश्वर ड्रेन का पुल और जिगना गंग नहर पर बने पुल सकरे हैं। मिल एरिया में तकिया नईया नाला पुल, देवानंदपुर, राही व डीघिया चौराहा, अमावां व दुसौती पुल खतरनाक हैं। ढाबों के आसपास निगरानी जरूरी
ऐसा देखने में आया है कि हाईवे किनारे खुले ढ़ाबों में रात के वक्त बहुत भीड़ जुटती है। ट्रक चालक हाईवे किनारे ही ट्रक खड़ा करके ढ़ाबों पर रुक जाते हैं। राजमार्ग की दोनों पटरियों पर बड़े वाहन खड़े होने से सड़क की चौड़ाई भर बचती है। कोहरे में इन स्थानों से सुरक्षित निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसके लिए आवश्यक है कि अभी से ढ़ाबा संचालकों को हिदायत दे दी जाए कि वे वाहनों की पार्किंग हाईवे पर न कराएं।
पंजीकृत वाहन
ट्रक- 1817
चार पहिया- 4990
थ्री व्हीलर- 113
बस- 1180
लोडर टैक्सी- 1717
दो पहिया- 354498
कार- 109725
जीप- 7261
ओमनी बस- 10027
ट्रैक्टर- 29144
ट्रेलर- 100
कुल- 5,17,185
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उप यातायात निरीक्षक बोले,
ढ़ाबों में पार्किंग की व्यवस्था के लिए सभी थानों से पत्राचार किया जा रहा है। हाईवे पर वाहनों की पार्किंग बिलकुल नहीं होनी चाहिए। ऐसा करने वालों के खिलाफ पुलिस सख्त कार्रवाई करेगी। कोहरे में सावधानी पूर्वक वाहन चलाना चाहिए न कि रफ्तार से खेलना चाहिए। हादसे की एक बड़ी वजह ये भी है।
अनिल ¨सह, उप यातायात निरीक्षक
एनएचएआइ के अधिकारी बोले,
जो भी डेंजर प्वाइंट होते हैं, वहां सुरक्षा के मद्देनजर रिफ्लेक्टर और संकेतक लगाए जाते हैं। इंडियन रोड कांग्रेस के नियमों के आधार पर हम सुगम यातायात के लिए प्रयास करते हैं। रायबरेली से निकले एनएच में कई परिवर्तन जल्द ही देखने को मिलेंगे।
अब्दुल बाशित, प्रोजेक्ट डाइरेक्टर एनएचएआइ