अब डेंगू के डंक का सता रहा डर
- 2018 में मिली ब्लड सेपरेटर यूनिट की संस्तुति अब तक नहीं मिले आवश्यक उपकरण - प्लेटलेट्स कम होने पर मरीजों को रेफर कर रहे लखनऊ प्राइवेट लैबों में भी नहीं है सुविधा
रायबरेली : कोरोना महामारी के बीच अब डेंगू के डंक का डर सता रहा है। कारण इसकी चपेट में आने से पीड़ित की जान भी जा सकती है। इसके बावजूद यहां इलाज के माकूल इंतजाम नहीं हैं। जांच की सुविधा तो है, लेकिन प्लेटलेट्स के लिए लखनऊ तक दौड़ लगानी पड़ती है। यह हाल तब है जब ब्लड सेपरेटर यूनिट की संस्तुति शासन स्तर से फरवरी 2018 में ही मिल गई। अब तक आवश्यक उपकरण मुहैया नहीं कराए जा सके हैं। निजी लैब और अस्पतालों में भी ब्लड कंपोनेंट अलग करने की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में गंभीर पीड़ितों पर जान का जोखिम ज्यादा है।
क्या है ब्लड सेपरेटर यूनिट
ब्लड यानी खून में तीन महत्वपूर्ण कंपोनेंट होते हैं प्लेटलेट्स, प्लाज्मा और रेड सेल्स। डेंगू मरीजों को प्लेटलेट्स की जरूरत है। बर्न इंजरी, यानी जल जाने पर प्लाज्मा का उपयोग किया जाता है। रेड सेल्स उन मरीजों को चढ़ाया जाता है, जिनमें खून की कमी होती है। इन सभी को ब्लड सेपरेटर यूनिट के जरिए ही खून से अलग कर संरक्षित किया जाता है।
कैसे फैलता है डेंगू
एडीज मच्छर से डेंगू फैलता है। ये साफ पानी में पैदा होता है। जुलाई से अक्टूबर के बीच ये बीमारी ज्यादा फैलती है। इससे बचने के लिए साफ सफाई बेहद जरूरी है। सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले साल 14 मरीज मिले। इस बार अक्टूबर तक 315 लोगों की जांच की गई, इसमें तीन ही पीड़ित मिले।
डेंगू के लक्षण
- भयानक सिरदर्द
- आंखों के पीछे दर्द
- हड्डियों और जोड़ों में गंभीर दर्द
- पीठ के निचले हिस्से, पैरों की मांसपेशियों में दर्द
- पेट में दर्द, बीमार महसूस करना और बीमार होना
- ठंड लगना, कांपना
- त्वचा में लाल चकत्ते
- भूख में कमी, गले में खराश
- यूरिन में ब्लड आना वर्जन
इस बार साफ सफाई और सैनिटाइजेशन का काम ज्यादा हो रहा है। इस कारण डेंगू के मरीज कम मिल रहे हैं। एंटी लार्वा का छिड़काव कराने के लिए टीमें गठित हैं।
डॉ. रितु श्रीवास्तव, जिला मलेरिया अधिकारी
वर्जन
ब्लड सेपरेटर यूनिट के लिए लगातार पत्राचार किया जा रहा है। शासन स्तर से आवश्यक उपकरण मिलने पर इसे यहां भी शुरू करा दिया जाएगा।
डॉ. एनके श्रीवास्तव, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक