वीरपाल कोठी के आसपास के सौ मकान मालिकों को नोटिस
जासं, रायबरेली : शहर में वीरपाल कोठी के आसपास की करीब 25 बीघे जमीन पर बने सौ से अधिक
जासं, रायबरेली : शहर में वीरपाल कोठी के आसपास की करीब 25 बीघे जमीन पर बने सौ से अधिक मकानों पर संकट के बादल छा गए हैं। यह जमीन प्रशासन ने आरडीए को दी थी। मगर, बिना किसी अनुमति के लोगों ने इस पर मकान बना लिए। अब आरडीए का जमीन खरीदने या खाली करने का नोटिस पहुंचने के बाद मकान मालिकानों में हड़कंप मचा हुआ।
दरअसल, यह जमीन राजस्व परिषद की थी, जिसका प्रबंधन जिलाधिकारी के पास था। करीब 34 साल पहले जमीन आरडीए को दी गई थी, ताकि इंदिरा नगर विस्तार योजना में उसका उपयोग हो सके। मगर, जमीन के स्वामित्व को लेकर एक वाद न्यायालय में दायर हो गया। इसका फैसला आता, इससे पहले ही जमीन पर लोगों ने मकान बनवाकर रहना शुरू कर दिया। पिछले साल नवंबर 2017 में वाद का फैसला हुआ। यह निर्णय प्राधिकरण के पक्ष में रहा। अब तक शांत रहे प्राधिकरण ने निर्णय आने के बाद अपनी जमीन पर हक जताना शुरू कर दिया। इसी के तहत इस जमीन पर मकान बनवाने वाले लोगों को नोटिस जारी किया गया है। वर्ष 2005 के सर्वे में मिले थे 80 मकान
विभागीय अफसरों का कहना है कि वर्ष 1987 को वाद दायर हुआ था। इसके बाद न्यायालय में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे। मगर, इसी बीच जमीन की खरीद-फरोख्त हो गई। इसमें लोगों ने प्रशासन की ओर से प्राधिकरण को दी गई इस जमीन को खरीदा और उस पर मकान भी बनवा डाले। इसका पता चलने पर वर्ष 2005 में एक सर्वे कराया गया था। तब इस जमीन पर बने मकानों की संख्या 80 निकलकर सामने आई थी। वहीं, अब यह आंकड़ा 100 के पार पहुंच गया है। बने हैं बड़े-बड़े आलीशान मकान
आरडीए की इस जमीन पर कई बड़े-बड़े आलीशान मकान बने हुए हैं। कोई बड़ा व्यापारी है तो कोई सरकारी विभागों में कर्मचारी। यही नहीं बताते हैं कि कई लोगों ने जितनी जमीन खरीदी थी, उससे अधिक पर कब्जा कर लिया है। जल निगम कार्यालय का कुछ हिस्सा भी इसी जमीन पर है। अब इन भवन मालिकों के पास दो ही रास्ते बचते हैं। या तो प्राधिकरण की जमीन को खाली करें। या फिर उसका मूल्य चुकाकर प्राधिकरण से भूमि खरीद लें। इसके लिए एक मौका भी प्राधिकरण ने दिया। भेजा गया है नोटिस
इंदिरा नगर विस्तार योजना के लिए वीरपाल कोठी के आसपास की जमीन प्रशासन ने प्राधिकरण को दी थी। इसका वाद न्यायालय में चल रहा था। इसका फैसला आरडीए के पक्ष में आया है। इसके बाद जमीन पर बने मकानों के मालिकों को नोटिस दी गई है कि वे प्राधिकरण से जमीन क्रय कर लें।
-एके राय, प्रभारी सचिव, प्राधिकरण