नो इंट्री सिर्फ दिखावा, ओवरलोडिग खुलेआम
वाहन स्टैंडों से वसूली में व्यस्त यातायात पुलिस ट्रैफिक व्यवस्था धड़ाम कुछ दारोगाओं के इशारे पर हो रही वसूली अधिकारी जानकर भी अनजान
रायबरेली : शहर में यातायात व्यवस्था बेपटरी है। अवैध वसूली चरम पर है। नो इंट्री मजाक बनकर रह गई है। सुरक्षित समय पर शहर के भीतर से ओवरलोड वाहन निकाले जा रहे हैं। इस तरह की बहुतायत शिकायतें अक्सर अधिकारियों से की जाती हैं। मगर, कुछ दारोगाओं का ऐसा काकस बन गया है कि उनके आगे सारे सच दबा दिए जाते हैं।
हाईवे हो या शहर की सड़कें, सब जगह बेतरतीब वाहन खड़े रहते हैं। जाम लगता है और लोग परेशान होते हैं। शहर के भीतर कचेहरी रोड पर दोनों पटरियों पर सड़क तक चार पहिया वाहन खड़े कर दिए जाते हैं। कैपरगंज में तो बीच सड़क को पार्किंग बना दिया गया है। बस स्टॉप से पुलिस लाइंस चौराहे तक जाना है तो तय है कि जाम में फंसना ही फंसना है। सिविल लाइंस चौराहा जहां यातायात व्यवस्था के जिम्मेदार कुर्सी सजाकर बैठते हैं, इस चौराहे के इर्दगिर्द के हालात भी बहुत बदतर हैं। हाईवे पर खड़े वाहन आए दिन दुर्घटनाओं को दावत दे रहे हैं। इन वाहनों पर जिम्मेदार कार्रवाई करने से क्यों बचते हैं, ये सर्वविदित है।
काहे की नो इंट्री
शहर में रात नौ बजे से सुबह नौ बजे तक नो इंट्री रहती है। सुल्तानपुर रोड पर शारदा नहर के पास, लालगंज रोड पर गुरुबक्शगंज मोड़ के पास और फैजाबाद रोड पर अमावां के पास नो इंट्री है। मगर, आप गौर करें तो रात में शायद ही आपको यहां कोई ट्रक खड़ा मिल जाए। मतलब इन सबको पास करा दिया जाता है। क्यों और कैसे, इस प्रश्न का उत्तर अधिकारी देने से बचते रहते हैं।
अवैध वसूली लाखों में!
अंदरखाने से मिली जानकारी के मुताबिक तकरीबन आठ लाख रुपये प्रतिमाह अवैध वसूली के जरिए आते हैं। जिसमें वाहनों की ओवरलोडिग, रात में नो इंट्री से गाड़ी पास कराने, वाहन स्टैंड, अस्पताल में एंबुलेंस स्टैंड से वसूली आदि शामिल हैं। इसी में से कुछ अधिकारियों तक की हिस्सेदारी बंटी है।
कोट
यातायात व्यवस्था दुरुस्त रहे, इसके लिए बेहतर विकल्प तलाशा जा रहा है। जो भी लापरवाही बरतेगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।
-स्वप्निल ममगाईं, पुलिस अधीक्षक