रायबरेली-प्रयागराज राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण में रोड़े
अधिग्रहण के लिए तीन साल पहले ही चिन्हित की जा चुकी थी 37 गांवों में 143 हेक्टेयर भूमि
रायबरेली: रायबरेली से लेकर प्रयागराज तक पूरा नेशनल हाईवे फोरलेन नहीं हो सका है तो इसके पीछे सबसे बड़ी लापरवाही भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) की है। इसके लिए भू अधिग्रहण पर विभागीय कार्यवाही 2018 में ही शुरू हो गई थी। भूमि अध्याप्ति विभाग अवार्ड कराने के लिए पत्राचार करता रहा और एनएचएआइ के अधिकारी उन्हें फाइलों में दबाते चले गए।
लखनऊ-प्रयागराज हाईवे से प्रतिदिन हजारों की संख्या में वाहन आते-जाते हैं। लखनऊ से लेकर रायबरेली तक तो ये वाहन फर्राटा भरते हैं। इसके बाद जाम की समस्या और हादसों का डर मुसाफिरों को सताने लगता है। कारण, यहां तक सड़क फोरलेन है। शहर से आगे टू-लेन रोड ही बनाई गई है। 106 किमी लंबे इस टू-लेन हाईवे पर कई कस्बे और बाजारें हैं। इसकी वजह से जाम लगता रहता है। इसी को देखते हुए इस हाईवे को फोरलेन बनाने का खाका खींचा गया था। इसके लिए 143 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होना था। भूमि अध्याप्ति विभाग ने अधिग्रहण में अपने हिस्से की शुरुआती प्रक्रिया पूरी कर ली थी। विज्ञापन भी प्रकाशित करा दिए गए थे। काम बाकी था तो सिर्फ अवार्ड कराने और मुआवजे के वितरण का। एनएचएआइ ने इसमें तेजी नहीं दिखाई। नतीजतन हाईवे का चौड़ीकरण नहीं हो सका।
इनसेट
पहले बनेंगे बाइपास, फिर चौड़ी होगी सड़क
हाईवे के चौड़ीकरण पर हाईकोर्ट के सख्त रुख अपनाने के बाद अब एनएचएआइ ने तेजी दिखानी शुरू कर दी है, लेकिन चौड़ीकरण में अब भी देरी है। प्राधिकरण पहले प्रस्तावित बाइपास का निर्माण कराएगा। इसके बाद कहीं चौड़ीकरण का नंबर आएगा। तब तक मुसाफिरों को जाम के झाम से जूझना पड़ेगा। एनएचएआइ के पीडी एसबी सिंह से बात की गई तो उन्होंने कोई भी जवाब नहीं दिया।
वर्जन:::
रायबरेली-प्रयागराज एनएच पर प्रस्तावित नए बाइपास के लिए भूअधिग्रहण की जानकारी है। 14 में से एक गांव में अधिग्रहण का काम बचा है। हाईवे के चौड़ीकरण के बारे में पता नहीं है।
-अमित कुमार, अपर जिलाधिकारी प्रशासन