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गर रहे ¨जदा तो फिर होगी जियारत अगले साल- अलविदा हुसैन

रायबरेली : इंसान को बेदार तो हो लेने दो, हर कौम पुकारेगी हमारे हैं हुसैन। कुछ ऐसा ह

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 12:28 AM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 12:28 AM (IST)
गर रहे ¨जदा तो फिर होगी जियारत अगले साल- अलविदा हुसैन

रायबरेली : इंसान को बेदार तो हो लेने दो, हर कौम पुकारेगी हमारे हैं हुसैन। कुछ ऐसा ही शुक्रवार को 10वीं मुहर्रम पर देखने को मिला। शहर, कस्बा या फिर ग्रामीण हो हर जगह इमाम हुसैन की शहादत का गम मनाया गया। इसमें शिया-सुन्नी संप्रदायों के अलावा विभिन्न वर्ग के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कर्बला में ताजियों को दफन किया गया। इस दौरान पुलिस प्रशासन मुस्तैद रहा।

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अंजुमन सज्जादिया (रजि.) के जेरे एहतेमाम शहर में इमामबारगाह जव्वाद हुसैन खिन्नी तला से जुलूस निकला। अलम, ताजिया, ताबूत, व जुलजनाह के साथ दस्ता ए जैनुल एबा के मातमदारों ने जुनूनी कैफियत से सीनाजनी करते हुए कहारो का अड्डा, गुलाब रोड होते हुए टाऊन हाल पहुंचे। रास्तों मे आने वाली इमामबारगाहों से मातमी नौजवान इमाम को अलविदा पढ़ते हुए ताजियों को जुलूस में शामिल करते रहे। टाऊन हाल से नन्हे बच्चों ने जंजीरजनी कर खुद को लहूलुहान कर कर्बला के नन्हे शहीदों अली असगर, औन, मोहम्मद को पुरसा पेश किया। जिसमें अश्तर नकवी, गाजी हैदर, जरी हैदर, तालिब रजा, हुसैन, जर्रार नकवी, मिनहाल अब्बास, हैदर अब्बास आदि ने जंजीरजनी। जंजीरजनी का मातम किला बाजार से होता हुआ कजियाना स्थित मस्जिद कुबा पहुचा। दूसरा जुलूस वजीरगंज स्थित हसन रायबरेलवी के इमामबारगाहवसी रजा से बरामद हुआ, जो रास्ते में आने वाली इमामबारगाहों से ताजिये लेता हुआ तेलियाकोट, खतराना होता हुआ कजियाना पहुंचा। यहा से सभी ताजियों को लेकर या हुसैन अलविदा या हुसैन अलविदा की सदा पर सीनाजनी करते हुए जुलूस कर्बला चककुण्डरी पहुंचा। यहां निहायत अदब ओ एहतराम के साथ नम आंखों के साथ ताजिए सुपुर्दे खाक किए गए। इस मौके पर मुस्तफा आजम नकवी, अजा मेराज मुस्तफा, जहीर अब्बास नकवी, सलमान नकवी, दिलशाद नकवी, शाहकार रिजवी, मुजाहिद हुसैन, राशिद नकवी आदि मौजूद रहे।

सुन्नत जमात के ताजियों का जुलूस तिलियाकोट से निकला, जो परंपरागत रास्तों से होता हुआ कर्बला में खत्म हुआ। नम आंखों से ताजिये दफनाए गए। रास्तेभर लोगों ने मातम किया। अंजुमन फरोगे इस्लाम कमेटी ने सहयोग करने वालों का शुक्रिया अदा किया। जुलूस में बड़ों के साथ बच्चों ने भी भाग लिया। या हुसैन की सदाएं गूंजी। इस दौरान जुलूस को देख महिलाएं भी गमगीन हो गई। इस मौके पर मो. अहमद, इमामवली, रहमत अली, अख्तर अंसारी, अहमद रैनी, गुड्डू आदि मौजूद रहे।


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