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रायबरेली: कान्हा गौशाला में 18 गायों की मौत, प्रशासन ने बीमारी को बताई वजह

कान्हा गोवंश विहार त्रिपुला में सामने आई जिम्मेदारों की लापरवाही। पशु चिकित्सक होने के बावजूद नहीं होती गोवंशों की चिकित्सीय जांच।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 01:31 PM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 01:31 PM (IST)
रायबरेली: कान्हा गौशाला में 18 गायों की मौत, प्रशासन ने बीमारी को बताई वजह
रायबरेली: कान्हा गौशाला में 18 गायों की मौत, प्रशासन ने बीमारी को बताई वजह

रायबरेली, जेएनएन। शहर में लखनऊ-प्रयागराज हाईवे किनारे त्रिपुला के निकट संचालित कान्हा गोवंश विहार में शनिवार को छह मवेशी मृत मिले। इनमें से कई के शरीर पूरी तरह सड़ चुके थे। सूचना पर आलाधिकारी पहुंचे तो अव्यवस्था की पोल खुल गई। पशु चिकित्सक नदारद थे। सीडीओ ने एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई की बात कही है। छह फरवरी को ही कान्हा गौशाला का शुभारंभ किया गया। सरकारी मद के अलावा स्वयंसेवी संगठनों और समाजसेवियों से मदद के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा में एक खाता भी खुलवाया गया, ताकि गोवंशों को अच्छा चारा-पानी और अन्य संसाधन मुहैया कराए जा सके, मगर यहां के हालात बहुत ही बदतर मिले।

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तीन दिन से यहां छह गोवंशों के शव सड़ रहे थे, जिसमें तीन सांड, दो बछड़े और एक गाय शामिल हैं। इनके शवों का समय से निस्तारण नहीं कराया गया। कईयों के तो अंग ही गायब मिले। बताया गया कि जिला पंचायत से जो कर्मचारी डेड बॉडी उठाने आता था, वह तीन दिन से आया ही नहीं। सूचना पर पहले जिला पशु चिकित्साधिकारी फिर तहसील प्रशासन और उसके बाद सीडीओ राकेश कुमार जांच करने पहुंचे। 

अब तक 40 की मौत
गोवंश परिसर में काम करने वाले एक शख्स ने बताया कि 6 फरवरी से अब तक यहां आने वाले बेसहारा गोवंशों में से 40 की मौत हो चुकी है। देखा जाए तो प्रतिदिन औसत एक गोवंश का है। इसके बावजूद विभाग ने गोवंशों की सहूलियत को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इससे पशु चिकित्सा विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।  विभागीय आंकड़ों की मानें तो अभी यहां पर कुल 485 गोवंश हैं। सांड़ और बछड़ों को एक तरफ रखा जाता है। गायों के लिए अलग व्यवस्था की गई है। 

लड़े झगड़े तो कोई बीमार था
तीन सांड़ आपस में लड़े और घायल हुए। उनकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में अंदरूनी चोट लगने और खून के रिसाव की बात सामने आई है। एक बछड़े को निमोनिया था और दूसरे को गैस। गाय की उम्र अधिक हो गई थी। ऐसा पशु चिकित्साधिकारी डॉ. गजेंद्र प्रताप सिंह का कहना है। 

नदारद मिले पशु चिकित्सक
कान्हा गोवंश विहार अमावां ब्लाक में आता है। यहां डॉ. राम शबद पशु चिकित्सक हैं। उन्हीं को गोवंशों के इलाज का जिम्मा मिला है। मगर शनिवार को वह मौके पर आए ही नहीं। इस पर प्रशासनिक अधिकारियों ने खासी नाराजगी जताई है। साथ ही उनकी अनुपस्थिति की रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेज दी।  वहीं मुख्‍य विकास अधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि छह गोवंशों की मौत हुई है। हम जांच कर रहे हैं। एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट डीएम को सौंपी जाएगी। जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई जरूर होगी।

क्या है कान्हा योजना?
दरअसल, चारे व पानी के लिए गलियों में भटकते बेसहारा व आवारा पशुओं के लिए कान्हा गौशाला एक आशियाना है। यहां उनके भोजन की व्यवस्था के साथ रखरखाव की भी व्यवस्था की गई है। सरकार ने पशु क्रूरता को रोकने और आवारा पशुओं के पुनर्वास के लिए पहल करते हुए कान्हा गोशालाओं का निर्माण कराने की योजना तैयार की थी। यह योजना गौकशी जैसी घटनाओं पर भी रोक लगाने में भी काफी हद तक मददगार साबित हुई। प्रदेश भर में ऐसे कई आश्रय घर बनाए गए हैं।  


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