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'भैया टिकटवा केहका मिली, कुछ समझ मा नाहीं आवत', रायबरेली में कैसा है चुनावी माहौल? टिकट को लेकर कयास जारी

लोकसभा के लिए आगामी 20 मई को मतदान होना है लेकिन अभी तक राजनीतिक पार्टियों द्वारा प्रत्याशियों की घोषणा ना किए जाने से कयासों का बाजार गर्म है। चाय-पान की दुकानों पर सत्ता और विपक्ष से जुड़े लोग अपनी-अपनी पार्टियों के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते हुए योजनाओं का बखान कर रहे हैं। चुनावी चर्चा गांव की बैठकी से लेकर खेत खलिहान तिराहा चौराहों पर चल रही है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Published: Tue, 16 Apr 2024 11:18 AM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2024 11:18 AM (IST)
'भैया टिकटवा केहका मिली, कुछ समझ मा नाहीं आवत'... रायबरेली में कैसा है चुनावी माहौल? टिकट को लेकर कयास जारी

संवाद सूत्र, ऊंचाहार। लोकसभा के लिए आगामी 20 मई को मतदान होना है, लेकिन अभी तक राजनीतिक पार्टियों द्वारा प्रत्याशियों की घोषणा ना किए जाने से कयासों का बाजार गर्म है। चाय-पान की दुकानों पर सत्ता और विपक्ष से जुड़े लोग अपनी-अपनी पार्टियों के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते हुए योजनाओं का बखान कर रहे हैं।

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वहीं विपक्ष बेरोजगारी, महंगाई, बेसहारा गोवंशों से परेशान किसानों का मुद्दा उठाकर लोगों को इस बार सोंच-विचार कर सांसद का चुनाव करने की बात कह रहे हैं। चुनावी चर्चा गांव की बैठकी से लेकर खेत, खलिहान, तिराहा, चौराहों पर चल रही है।

कैसा है रायबरेली में चुनावी माहौल

सोमवार को इलेक्शन बाइक से हम विधानसभा क्षेत्र के रामसांडा तिराहा स्थित राहगीर जलपान की दुकान पहुंचे। समय सुबह के 10 बजे थे। दुकान पर गांव के रनबहादुर सिंह बैठे थे। हमने चुनाव की चर्चा शुरू की। इसी बीच वहां मौजूद ग्राम प्रधान जगन्नाथ मौर्य ने तपाक से एक सवाल दाग दिया।

बोले कि भैया 20 मई नजदीक आती जा रही है, अभी तक किसी राजनीतिक दल ने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं? इस बार चुनाव में कुछ समझ नहीं आ रहा है। इतने में पास में बैठे जगमोहन बोल पड़े, टिकट केऊ का मिलै, हमै तौ अब झूठ का अश्वासन नहीं, क्षेत्र का विकास चाही।

इसी बीच रमेश भी पास आ गए और बोले 40 साल बीत गए, अबै तक क्षेत्र मा रोजगार कै कऊनव व्यवस्था नहीं भई। रोजी-रोटी के लिए दूसरे शहर जाइ का पड़त है। चुनाव के समय नेता तमाम वादा करिहैं, लेकिन बाद म कौनऊ नहीं देखत।

प्रत्याशी का इंतजार

रमेश की बात को काटते हुए राधेश्याम बोल पड़े, अरे भाई पहले प्रत्याशी मैदान मा तौ आवै, फिर मुद्दे की बात होई। जऊन सबके हित की बात करी, अबकी बार वोट वही का दीन जाई, लेकिन सबसे चिंता वाली बात यह है कि कौनउ राजनीतिक दल अबै तक तुरूप का पत्ता नहीं खोल रहे हैं।

थोड़ी देर बैठने के बाद चाय पीकर हम आगे बढ़े और सवैया तिराहा स्थित सिंह जलपान गृह की दुकान पहुंचे। यहां कुछ राजनीतिक विशेषज्ञ बुजुर्ग कुर्सी पर बैठे चुनावी चर्चा में मसगूल थे। चर्चा के दौरान कलूले महराज ने कहा कि भाई चुनाव के कुछ हाल-चाल बतइहौ। टिकटवा केहका मिली कुछ पता है?

बीच में ही उनकी बात काटते हुए अर्जुन तिवारी बोले अबकी बार विकास के नाम पर वोट दीन जाइ। कुर्सी मिलै के बाद हाल-चाल की कौन कहै, पहिचानय तक भूलि जाति हैं। ऊंचाहार मां बस स्टाप नहीं ना।

लखनऊ प्रयागराज, प्रयागराज, कानपुर रेल लाइन मा दर्जनों रेल गाड़ियां दिन रात दौड़ती हैं, पर ईश्वरदासपुर व रामचंद्रपुर रेलवे हाल्ट होअय के बावजूद गाड़ियों का ठहराव नहीं होई रहा है। ग्रामीणन का लखनऊ, कानपुर के अलावा मुंबई, कोलकाता, हरियाणा, लुधियाना, अहमदाबाद सहित अन्य शहर जाएके बरे ऊंचाहार या फिर 40 किलोमीटर दूर रायबरेली जाए का पड़त है।

इसके बाद हम बस स्टैंड स्थित नरेश चाय की दुकान पहुंचे। दुकान में लोग चाय की चुस्कियों के साथ चुनावी चर्चा कर रहे थे। फारुख का कहा था कि उम्मीदवार की घोषणा न होने से चुनावी मजा किरकिरा होई जाइ रहा है। यही अन्य लोग सत्ता पक्ष व विपक्ष के प्रत्याशी को लेकर कयास लगाते। कुछ सत्ता पक्ष तो कुछ विपक्ष की विचार धारा के कसीदे पढ़ रहे थे।

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