बारिश के पानी को सहेज फसलों की सिचाई
--उन्नतशील किसान ने तालाब बनाकर संजोई बारिश की एक-एक बूंद --धान समेत अन्य फसलों की सिचाई ही नहीं मत्स्य पालन से भी कमा रहे मुनाफा
रायबरेली : वैसे तो सरकार किसानों की आय दोगुनी करने को तत्पर है, लेकिन अन्नदाता खुद ठान लें तो कई गुना मुनाफा होना मुश्किल नहीं है। बस जरूरत है जज्बे की। मियांपुर के किसान ने कड़ी मेहनत और लगन से इसे साबित कर दिखाया। बिना नलकूप के फसलों की सिचाई के लिए तरकीब निकाली। तालाब बनाकर बारिश की एक-एक बूंद सहेजकर उससे खेतों की सिचाई शुरू कर दी। अब उनके खेतों में फसल लहलहा रही है। यही नहीं, तालाब में मत्स्य पालन करके भी मुनाफा भी कमा रहे हैं। किसान जग्गी प्रसाद सिंह के खेत में पानी का स्त्रोत नहीं था। उन्होंने मशीन के जरिए 4800 वर्ग फीट में 10 फीट गहरे तालाब की खोदाई कराई। इसमें बारिश के पानी का संचय शुरू किया। ऐसी व्यवस्था की कि आसपास से भी तालाब तक बारिश का पानी पहुंच सके। दो दिन की बारिश में तालाब लबालब भर जाता है। इससे वे 10 बीघे धान की फसल के साथ अन्य फसलों की सिचाई भी पंप लगाकर करते हैं।
इनसेट- फसलों के अवशेष से बनाई खाद, लहलहाई धान की फसल
जग्गी प्रसाद सिंह ने बताया कि धान की फसल में रासायनिक खाद का उपयोग नहीं किया है। पराली को खेतों में सड़ाकर खाद बनाते हैं। गेहूं की फसल लेने के बाद अवशेष जलाने की बजाय खेतों में गहरी जोताई कर उसे सड़ा दिया। बारिश में यही अवशेष सड़कर खाद का काम करते हैं। इससे धान व गेहूं की फसल में रोग नहीं लगते। शिवराम मौर्य, कमलेश, दिनेश, राधेश्याम सहित आसपास के खेतों के किसान भी प्रेरित होकर यह तकनीक अपना रहे हैं।
जग्गी प्रसाद सिंह प्रगतिशील किसान हैं, उनके खेती करने के तरीके से अन्य किसान भी प्रेरित होते हैं। कृषि विभाग से भी उन्हें पूरा सहयोग किया जा रहा है। अन्य किसानों को भी उनसे सीख लेनी चाहिए।
रविचंद्र प्रकाश, जिला कृषि अधिकारी