कुशोत्पाटनी अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
संसू, डलमऊ (रायबरेली) : कुशोत्पाटनी अमावस्या व भाद्र माह के दूसरे रविवार को डलमऊ के सड
संसू, डलमऊ (रायबरेली) : कुशोत्पाटनी अमावस्या व भाद्र माह के दूसरे रविवार को डलमऊ के सड़क घाट, रानीशिवाला घाट, पक्का घाट, संकट मोचन घाट, महावीरन घाट, राजा नेवाज ¨सह घाट, बड़ा मठ आदि गंगा घाटों पर हजारों की संख्या में दूर दराज से आए श्रद्धालुओं ने मां गंगा में स्नान किया। गंगा स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने मां भागीरथी के तट पर स्थिति विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिरों में पूजन-अर्चन कर अपने तीर्थ पुरोहितों को यथाशक्ति दान देकर अपने व अपने परिवार के कल्याण की कामना की। डलमऊ बड़ा मठ के महामंडलेश्वर स्वामी देवेंद्रानंद गिरि ने कुशोत्पाटनी अमावस्या पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जो ब्रह्मा रूप में संचालित रहे उसे कुश कहा जाता है। कुशोत्पाटनी अमावस्या के एक दिन पूर्व कुश के पौधे को एक निश्चित मुहूर्त में पूजन कर आमंत्रण दिया जाता है और फिर कुशोत्पाटनी अमावस्या के दिन शुभ मुहूर्त में उसे खोदा जाता है। यह कुश पूरे वर्ष धार्मिक कार्यो व कर्मकांडों में इस्तेमाल किया जाता है। कुश की अंगूठी (पैती) धारण करने का अपना अलग महत्व है। मान्यता है कि कुश को पानी में डालकर पीने से आंतरिक शुद्धि होती है। बिना कुश के धार्मिक कार्यो का पूर्ण फल नहीं मिलता। भाद्र माह के रविवार के दिन गंगा स्नान करने व भगवान सूर्य की उपासना करने से भगवान भाष्कर की कृपा प्राप्त होती है और साधक को रोगों से निजात मितली है। गंगा की सफाई के लिए किया प्रेरित
डलमऊ बड़ा मठ के महामंडलेश्वर स्वामी देवेंद्रानंद गिरि के नेतृत्व में रविवार को डलमऊ बड़ा मठ घाट पर स्वच्छता अभियान चलाया गया। स्वच्छता अभियान के तहत गंगा तट पर फैली गंदगी को साफ कर उसका निस्तारण किया गया और गंगा स्नान कर रहे स्नानार्थियों को गंगा स्वच्छता के प्रति जागरूक कर मां गंगा के तट को स्वच्छ रखने की अपील की गई। इस अवसर पर डलमऊ नगर पंचायत अध्यक्ष बृजेश दत्त गौड़, विनीत त्रिवेदी, ब्रम्हचारी दिव्यानंद गिरि, शोहराब अली, ब्रम्हचारी गीतानंद गिरि मौजूद रहे।